उच्च न्यायालयों, विश्वविद्यालयों के ब्रिटिशकालीन नामों को बदलने के लिए संसदीय समिति बने : आप सदस्य
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
- 17 Mar 2025, 03:30 PM
- Updated: 03:30 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) राज्यसभा के एक सदस्य ने सोमवार को आजादी के इतने सालों बाद भी कई उच्च न्यायालयों, विश्वविद्यालयों और ऐतिहासिक स्मारकों व स्थलों के ब्रिटिशकालीन नामों को बदलने के लिए एक संसदीय समिति गठित करने की मांग उठाई।
उच्च सदन में आम आदमी पार्टी (आप) के अशोक कुमार मित्तल ने शून्यकाल के दौरान कहा कि सरकार ने राजपथ को कर्तव्य पथ, भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता और इलाहाबाद को प्रयागराज में बदलने का काम करके एक राष्ट्रवादी सोच का परिचय दिया है।
उन्होंने ब्रिटशकालीन नामों को बदलने के सरकार के कदम को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया लेकिन साथ ही इन्हें नाकाफी भी बताया।
उन्होंने कहा कि आज भी मुंबई, मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों सहित देश के कई उच्च न्यायालयों के नाम ब्रिटिश काल के ही चल रहे हैं जबकि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान भी हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में ही मिंटो रोड, हेली रोड, चेम्सफोर्ड रोड सहित कई ऐसी सड़कें हैं, जो अंग्रेजों के नामों पर हैं।
मित्तल ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया लेकिन वहां स्थित उच्च न्यायालय का नाम आज भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय और विश्वविद्यालय का नाम इलाहाबाद विश्वविद्यालय है।
उन्होंने कहा, ‘‘और तो और वहां की संसदीय सीट का नाम भी इलाहाबाद ही है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को इंडिया गेट और गेटवे ऑफ इंडिया के नाम पर भी विचार करना चाहिए।
आप सदस्य ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित 3,600 से ज्यादा स्मारकों में से आज भी कई ऐसे गवर्नर-जनरल और वायसराय के नाम पर हैं जिन्होंने भारतीयों पर जुल्म ढाए।
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के स्मारकों की सुरक्षा के लिए जनता का पैसा लगाया रहा है।
मित्तल ने कहा, ‘‘मेरा सरकार से निवेदन है कि एक संसदीय समिति बनाई जाए जो ब्रिटिश नाम वाले संस्थानों इत्यादि के नामों को बदलने पर विचार करे।’’
उन्होंने कहा कि वह विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस संबंध में पत्र लिखेंगे और उनसे ब्रिटिशकालीन नामों को परिवर्तित करने का आग्रह करेंगे।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र