आईबीसी के तहत 10 लाख करोड़ रुपये के 28,818 दिवाला आवेदनों का निपटारा किया गया: सरकार
वैभव सुभाष
- 17 Mar 2025, 05:37 PM
- Updated: 05:37 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) कॉरपोरेट मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत पिछले नौ वर्षों में करीब 40,943 आवेदन दाखिल किए गए, जिनमें से 10 लाख करोड़ रुपये की राशि वाले 28,818 आवेदनों का निपटारा उन्हें स्वीकृत किये जाने से पहले ही कर दिया गया।
उन्होंने प्रश्नकाल में यह भी कहा कि 2016 में आईबीसी की शुरुआत किये जाने से भारत को काफी लाभ हुआ, जिससे भारत की वैश्विक रैंकिंग में 56 पायदान का सुधार हुआ और 2018 में यह 108वें स्थान से 2019 में 52वें स्थान पर पहुंच गई।
उन्होंने पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा, ‘‘आईबीसी के तहत 40,943 आवेदन दाखिल किए गए, जिनमें से 28,818 आवेदनों का निपटारा उन्हें स्वीकृति प्रदान करने से पहले ही कर दिया गया। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। निपटारा किये गए आवेदन कुल करीब 10 लाख करोड़ रुपये से संबंधित थे। लंबित या विचाराधीन आवेदनों में से 1,119 का निपटारा हो चुका है।’’
मंत्री ने कहा कि घर खरीदारों के संबंध में कई सुधार किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई बड़ा बिल्डर या उपभोक्ता राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में जाता है, जो एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, तो हमने उन्हें समाधान उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है। हमने कार्यवाही के दौरान भी घर खरीदारों को कब्जा दिलाया है।’’
मल्होत्रा ने कहा कि एनसीएलटी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 31 दिसंबर, 2024 तक कंपनी अधिनियम के तहत लंबित मामलों की संख्या 8,133 और आईबीसी के तहत 12,351 थी।
उन्होंने कहा कि एनसीएलटी में मामलों के लंबित रहने के कई कारण हैं, जो प्रत्येक मामले की परिस्थितियों और जटिलता, साक्ष्य की प्रकृति, ‘इंटरलोक्यूटरी आवेदनों’ (आईए) की संख्या, कई मामलों में उच्च न्यायालयों द्वारा रोक, हितधारकों के सहयोग और स्थगन पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘शीघ्र निपटान की सुविधा के लिए, सरकार निरंतर आवश्यक कदम उठा रही है, जिसमें ई-अदालत और हाइब्रिड अदालत की व्यवस्था, सदस्यों के दक्षता विकास के लिए नियमित संगोष्ठी, बुनियादी ढांचे के प्रावधान और रिक्तियों को भरना आदि शामिल हैं।’’
मंत्री ने कहा कि सरकार ने व्यापार सुगमता (ईओडीबी) के तहत कई पहल की हैं, जिनका उद्देश्य अनुकूल कारोबारी माहौल बनाना है।
भाषा वैभव