देशभर की माताओं ने स्वास्थ्य मंत्री से वायु प्रदूषण से निपटने का अनुरोध किया
गोला नरेश
- 09 Sep 2024, 01:05 PM
- Updated: 01:05 PM
नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) स्वच्छ हवा की वकालत करने वाली देशभर की माताओं के एक समूह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अस्पतालों के आसपास ‘कम उत्सर्जन क्षेत्र’ बनाने और चिकित्सकों को उपचार के दौरान किसी रोगी के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के जोखिम पर विचार करने के लिए परामर्श जारी करने का आग्रह किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को शनिवार को लिखे एक पत्र में ‘‘वॉरियर मॉम्स’’ ने प्रदूषण संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए प्रत्येक राज्य के लिए एक ‘‘स्वास्थ्य कार्य योजना’’ बनाने का प्रस्ताव भी दिया है।
माताओं ने भारत के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मानकों को तत्काल अद्यतन बनाने का आह्वान किया है जिसमें दो साल से अधिक की देरी हुई है। साथ ही प्रदूषण स्तर कम करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करने का भी अनुरोध किया है।
‘‘वॉरियर मॉम्स’’ ने यह भी सुझाव दिया है कि मंत्रालय व्यापक प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लिए अन्य सरकारी निकायों के साथ सहयोग करे, जिसमें अस्पतालों के आसपास ‘‘कम उत्सर्जन क्षेत्र’’ स्थापित करना और चिकित्सकों को बीमारियों का उपचार करते समय रोगी के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने को लेकर परामर्श जारी करना शामिल है।
उन्होंने प्रदूषण संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए प्रत्येक राज्य के लिए ‘‘स्वास्थ्य कार्य योजना’’ विकसित करने का भी सुझाव दिया है।
वॉरियर मॉम्स की पुणे चैप्टर की सदस्य एवं दो बच्चों की मां हेमा चारी ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य मंत्रालय को केवल परामर्श जारी करने से आगे बढ़कर, अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हमारे बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार प्राथमिक प्राधिकरण होने के नाते स्वास्थ्य चिंताओं से निपटने का उसका प्रमुख दायित्व बनता है, खासतौर से ऐसी चिंताएं जिनके दीर्घगामी परिणाम हैं।’’
इन माताओं का कहना है कि भारत के बच्चों का स्वास्थ्य दांव पर है और उन्होंने श्वसन संबंधी बीमारियों, हृदय रोगों और समयपूर्व मौतों के मामलों में वृद्धि को वायु प्रदूषण से जोड़ने वाले अध्ययनों का हवाला दिया है।
भाषा गोला