एअर इंडिया विमान दुर्घटना के लिए मृत पायलट को दोषी नहीं माना जा रहा: केंद्र ने न्यायालय से कहा
नेत्रपाल प्रशांत
- 13 Nov 2025, 07:42 PM
- Updated: 07:42 PM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि 12 जून को हुए विमान हादसे के संबंध में एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट में एअर इंडिया के पायलट, कैप्टन सुमित सभरवाल को दोषी नहीं ठहराया गया है। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी।
इस साल 12 जून को, एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई 171 वाला बोइंग 787-8 विमान लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे इसमें सवार 241 लोगों सहित कुल 260 लोगों की मौत हो गई थी। इस विमान को पायलट सभरवाल उड़ा रहे थे। उनके साथ सह-पायलट की भूमिका में कैप्टन क्लाइव कुंदर थे।
शीर्ष अदालत ने मृतक पायलट सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल की याचिका पर केंद्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) को नोटिस जारी किया था।
पुष्करराज सभरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने अहमदाबाद में एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में अदालत की निगरानी में कराने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ को बताया कि विमान दुर्घटना की जांच के लिए विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (एएआईबी) की जांच टीम का गठन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तहत किया गया था और इसके लिए वैधानिक प्रावधान है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। एक अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन है। उन्होंने हवाई दुर्घटनाओं की जांच के मामले में उठाए जाने वाले अनिवार्य कदम तैयार किए हैं। एक व्यवस्था मौजूद है।’’
मेहता ने कहा, ‘‘कुछ विदेशी भी पीड़ित हैं। वे देश भी जांच में अपने प्रतिनिधि भेजते हैं। मैं पिता की भावनाओं को समझता हूं, लेकिन अंतरिम रिपोर्ट में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है।’’
उन्होंने कहा कि एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है तथा अंतरिम रिपोर्ट जारी होने के बाद पायलट की गलती के बारे में कुछ गलत धारणा बन गई।
मेहता ने कहा, ‘‘नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता। रिपोर्ट में किसी को दोषी ठहराने का सवाल ही नहीं है।’’
न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ‘‘एएआईबी जांच किसी पर दोष मढ़ने के लिए नहीं है। यह केवल कारण स्पष्ट करने के लिए है ताकि ऐसा दोबारा न हो।’’
शीर्ष अदालत एक गैर सरकारी संगठन, एक विधि छात्र और मृत पायलट के पिता द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अहमदाबाद के निकट हुई एअर इंडिया विमान दुर्घटना की स्वतंत्र एवं अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई थी।
विमान में सवार मरने वाले 241 लोगों में से 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक तथा चालक दल के 12 सदस्य शामिल थे।
दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति ब्रिटिश नागरिक विश्वाशकुमार रमेश हैं।
शीर्ष अदालत ने सात नवंबर को कहा था कि 12 जून की दुर्घटना के लिए एअर इंडिया ड्रीमलाइनर के मुख्य पायलट को किसी ने दोषी नहीं ठहराया है। अदालत ने पायलट के 91 वर्षीय पिता से कहा था कि वह किसी भावनात्मक बोझ तले न रहें।
इसने कहा था, ‘‘प्रारंभिक रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है।’’ साथ ही, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया था कि यदि आवश्यक हुआ तो अदालत स्पष्ट करेगी कि इस ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ विमान दुर्घटना के लिए पायलट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
मामले में एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इतने बड़े पैमाने की दुर्घटना की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ की तरह समानांतर जांच की जानी चाहिए।
भूषण ने कहा कि गंभीर दुर्घटनाओं के लिए ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ की आवश्यकता होती है, न कि केवल एएआईबी द्वारा जांच की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद चिंताजनक है। इन 787 विमानों में कई प्रणाली फेल हो चुकी हैं। इन विमानों में उड़ान भरने वाला हर व्यक्ति जोखिम में है। पायलट एसोसिएशन ने कहा है कि इन विमानों को तुरंत उड़ान से हटा दिया जाना चाहिए।’’
भूषण ने कहा कि पायलट फेडरेशन ने कहा है कि इन विमानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता और इनमें उड़ान भरने वाले लोगों के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि यह कार्यवाही एक एअरलाइन बनाम दूसरी एअरलाइन के बीच लड़ाई नहीं बननी चाहिए। उन्होंने मेहता से मृतक के पिता द्वारा दायर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
मृतक पायलट के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि निष्पक्ष जांच के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
शंकरनारायणन ने कहा, ‘‘श्री मेहता ने जिस व्यवस्था का उल्लेख किया है, उसका पालन नहीं किया गया है। यही समस्या है। इसका उचित तरीके से पालन नहीं किया गया है।’’ उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि वह केंद्र से मृतक पायलट के 91 वर्षीय पिता की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहे।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए स्थगित कर दी, क्योंकि इसने स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर विधि स्नातक की याचिका पर सुनवाई करने में रुचि नहीं रखती।
मृतक पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता की याचिका में दुर्घटना की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति के गठन का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है, जिसमें विमानन और तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हों।
एनजीओ द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि आधिकारिक जांच नागरिकों के जीवन, समानता और सच्ची जानकारी तक पहुंच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
भाषा
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