वर्ष 2024 में क्षय रोग के सबसे अधिक मामले भारत में सामने आये: डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट
अमित अविनाश
- 12 Nov 2025, 10:11 PM
- Updated: 10:11 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2025 में कहा गया है कि 2024 में टीबी के सबसे अधिक मामले भारत में सामने आये, जिसके बाद इंडोनेशिया, फिलीपीन, चीन और पाकिस्तान का स्थान है।
डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी उन्मूलन के लिए अधिक वित्तपोषण का आह्वान किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भौगोलिक दृष्टि से, 2024 में टीबी से पीड़ित अधिकांश लोग डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया (34 प्रतिशत), पश्चिमी प्रशांत (27 प्रतिशत) और अफ्रीका (25 प्रतिशत) क्षेत्रों में थे, जबकि पूर्वी भूमध्यसागरीय (8.6 प्रतिशत), अमेरिका (3.3 प्रतिशत) और यूरोप (1.9 प्रतिशत) में इनका अनुपात कम था।
दुनिया भर में अनुमानित सभी मामलों में से 87 प्रतिशत मामले 30 देशों में दर्ज किए गए, जिनमें से आठ देशों में वैश्विक कुल मामलों की दो-तिहाई (67 प्रतिशत) संख्या दर्ज की गयी।
इनमें से सबसे अधिक 25 प्रतिशत मामले भारत में दर्ज किए गए, उसके बाद इंडोनेशिया (10 प्रतिशत), फिलीपीन (6.8 प्रतिशत), चीन (6.5 प्रतिशत), पाकिस्तान (6.3 प्रतिशत), नाइजीरिया (4.8 प्रतिशत), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (3.9 प्रतिशत) और बांग्लादेश (3.6 प्रतिशत) का स्थान रहा।
शीर्ष पांच देशों में वैश्विक कुल मामलों का 55 प्रतिशत हिस्सा दर्ज किया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि टीबी एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है और दुनिया के अधिकांश हिस्सों में रोग के बोझ को कम करने की प्रगति 2030 के लक्ष्यों से बहुत पीछे है।
हालांकि, इसने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बाधाओं के बाद, अधिकांश संकेतक सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी से निपटने के लिए धन आवंटन काफी अपर्याप्त है तथा स्थिर बना हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी की रोकथाम, जांच और उपचार के लिए 2024 में 5.9 अरब अमेरिकी डॉलर और 2023 में टीबी अनुसंधान के लिए 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़े 2027 तक प्रतिवर्ष 22 अरब अमेरिकी डॉलर और 5 अरब अमेरिकी डॉलर के वैश्विक लक्ष्यों का क्रमशः 27 प्रतिशत और 24 प्रतिशत हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "2025 के बाद से अंतरराष्ट्रीय निधि में कटौती से कई देशों में टीबी प्रतिक्रिया के लिए निधि पर खतरा पैदा हो सकता है।’’
उसने कहा कि टीबी को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उच्च टीबी बोझ वाले देशों में राजनीतिक प्रतिबद्धता और घरेलू निधि की आवश्यकता होगी, जो पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुऔषधि प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) और ‘रिफैम्पिसिन’ प्रतिरोधी टीबी से पीड़ित लोगों की अनुमानित संख्या सबसे अधिक 32 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में, ‘एचआईवी-निगेटिव’ लोगों में टीबी के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से 69 प्रतिशत मौतें विश्व स्वास्थ्य संगठन के अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों में हुईं। रिपोर्ट के अनुसार अकेले भारत में 28 प्रतिशत मौतें हुईं।
भाषा अमित