सरकार ने छह साल के लिए निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी, 25,060 करोड़ रुपये होगा व्यय
रमण अजय
- 12 Nov 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दे दी। कुल 25,060 रुपये के व्यय के साथ यह मिशन इस वित्त वर्ष से शुरू होगा और छह वित्त वर्ष के लिए होगा।
इस कदम से निर्यातकों को अमेरिका के उच्च शुल्क से निपटने में मदद मिलेगी।
इस मिशन को दो उप-योजनाओं... निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा... के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। निर्यात प्रोत्साहन पर 10,401 करोड़ रुपये का व्यय होगा जबकि निर्यात दिशा पर 14,659 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह एक व्यापक मिशन है और यह पूरे निर्यात परिवेश को सहयोग प्रदान करेगा।
मिशन के तहत, हाल ही में वैश्विक शुल्क वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिक आधार पर सहायता प्रदान की जाएगी। इन क्षेत्रों में वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान तथा समुद्री उत्पाद शामिल हैं।
इस कदम से घरेलू निर्यातकों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क से उत्पन्न वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से बचाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाया है।
निर्यात प्रोत्साहन के अंतर्गत, ब्याज सहायता, तत्काल नकद के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचे गये सामान के बिलों की बिक्री (निर्यात फैक्टरिंग), गारंटी देकर कर्ज, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण के लिए ऋण वृद्धि सहायता जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार पर ध्यान दिया जाएगा।
वहीं, निर्यात दिशा के अंतर्गत, गैर-वित्तीय सहायता पर ध्यान दिया जाएगा जो बाजार के लिए तैयार रहने और प्रतिस्पर्घी क्षमता को बढ़ाते हैं। इसमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और लॉजिस्टिक और व्यापार के बारे में सटीक जानकारी और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।
इससे एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच को सुगम बनाने, अनुपालन और प्रमाणन सहायता के माध्यम से निर्यात को लेकर पूरी तैयारी और भारतीय उत्पादों के लिए बाजार पहुंच में सुधार की उम्मीद है।
इस मिशन को भारतीय निर्यात को बाधित करने वाली संरचनात्मक चुनौतियों के समाधान के दृष्टिकोण से तैयार किया गया है। इन चुनौतियों में सीमित और महंगा कर्ज, अंतरराष्ट्रीय निर्यात मानकों के अनुपालन की उच्च लागत, अपर्याप्त निर्यात ब्रांडिंग आदि शामिल हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। इसमें सभी प्रक्रियाएं ... आवेदन से लेकर वितरण तक... मौजूदा व्यापार प्रणालियों के साथ एकीकृत एक अलग डिजिटल मंच के माध्यम से प्रबंधित की जाएंगी।
भाषा रमण