बोत्सवाना के राष्ट्रपति ने मुर्मू से मुलाकात के दौरान भारत के उच्चतम न्यायालय, टैगोर की सराहना की
सुभाष नरेश
- 12 Nov 2025, 08:41 PM
- Updated: 08:41 PM
(तस्वीरों के साथ)
गैबोर्न, 12 नवंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की बोत्सवाना की राजकीय यात्रा के दौरान, अफ्रीकी देश के राष्ट्रपति दुमा गिदोन बोको ने बुधवार को भारत के उच्चतम न्यायालय तथा गणित और विज्ञान में भारतीय शिक्षकों के योगदान और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की साहित्यिक प्रतिभा की सराहना की।
बोको, पेशे से वकील रहे हैं। उन्होंने पिछले वर्ष नवंबर में बोत्सवाना के राष्ट्रपति का पद संभाला था। उन्होंने मुर्मू के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के बाद अपने भाषण में तथा बाद में संयुक्त प्रेस वार्ता में भारत की शीर्ष अदालत की सराहना की।
दोनों नेताओं ने आठ चीते भारत भेजे जाने के लिए एक सहयोगी परियोजना की घोषणा की। साथ ही, द्विपक्षीय सहयोग के लिए कई अन्य पहल की भी घोषणा की।
राष्ट्रपति बोको ने कहा कि भारत के उच्चतम न्यायालय के फैसलों ने बोत्सवाना के न्यायशास्त्र को ‘‘प्रेरित’’ किया है।
उन्होंने पेटेंट और बौद्धिक संपदा (आईपी) कानूनों पर शीर्ष अदालत के फैसलों को याद किया।
बोको ने कहा, ‘‘भारतीय अदालतों ने कहा है कि जहां निर्माता किसी उत्पाद की प्रभावशीलता बढ़ाए बिना उसकी पैकेजिंग में सिर्फ़ बदलाव करते हैं... ऐसे उत्पाद का पेटेंट नहीं कराया जा सकता।’’
उन्होंने 1985 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश वाई. वी. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिये गए एक ऐतिहासिक फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें भारतीय संविधान के तहत जीवन के अधिकार के दायरे का विस्तार करते हुए उसमें आजीविका के अधिकार को भी शामिल कर दिया गया था।
बोको ने कहा, ‘‘भारतीय न्यायशास्त्र हमारे लिए एक अनुकरणीय मार्गदर्शक है... यह निर्णय (समानता के अधिकार पर) दूर-दूर तक पहुंचा है... यह हमारी अदालतों तक पहुंचा है... मैंने व्यक्तिगत रूप से इस पर विश्वास जताया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही गहन निर्णय और अवलोकन था। हमने इस निर्णय से प्रेरणा ली है।’’
बोको ने कहा कि उनका देश साहित्य के क्षेत्र में भी टैगोर की रचनाओं से प्रेरित है, जिन्हें उन्होंने ‘‘साहित्य की एक बहुत ही सशक्त आवाज़ और महान हस्ती’’ बताया।
उन्होंने कहा कि टैगोर की रचनाओं से मिली प्रेरणा के लिए बोत्सवाना, भारत का ‘‘ऋणी’’ है।
राष्ट्रपति बोको ने बोत्सवाना की शिक्षा प्रणाली को आकार देने में भारतीय शिक्षकों, विशेष रूप से गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षकों की भूमिका की भी प्रशंसा की और उन्हें ‘‘प्रेरणादायी’’ बताया।
उन्होंने याद किया कि कैसे उनके एक भारतीय सहपाठी, जो अब एक भारतीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, ने एक बार उनके साथ कुछ किताबें साझा की थीं जिनसे इन विषयों के बारे में उनकी समझ गहरी हुई।
मुर्मू और बोको ने स्वास्थ्य सेवा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए।
मुर्मू बोत्सवाना की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं, जो किसी भारतीय राष्ट्रपति की इस दक्षिणी अफ्रीकी देश की पहली यात्रा है।
भाषा सुभाष