आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश होने और विस्फोट के बाद जांच के घेरे में अल-फलाह विश्वविद्यालय
शफीक नरेश
- 12 Nov 2025, 08:18 PM
- Updated: 08:18 PM
फरीदाबाद, 12 नवंबर (भाषा)‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ और दिल्ली के लाल किले के पास हुए उच्च तीव्रता वाले विस्फोट के सिलसिले में तीन चिकित्सकों की गिरफ्तारी के बाद हरियाणा में फरीदाबाद जिले के मुस्लिम बहुल धौज गांव में अल-फलाह विश्वविद्यालय और उसका 76 एकड़ में फैला परिसर जांच के घेरे में आ गया है।
अल फलाह विश्वविद्यालय की शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी और एमबीबीएस की कक्षाएं 2019 में शुरू हुईं।
इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 76 एकड़ में फैले इस विश्वविद्यालय की स्थापना 2014 में हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 के तहत की गई थी।
पढ़े-लिखे लोगों के ‘‘पाकिस्तान समर्थित सरपरस्तों के इशारे पर काम करते’’ हुए पाए जाने के बाद जांचकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि यह विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तियों के लिए आश्रय स्थल कैसे बन गया।
वर्ष 1995 में स्थापित अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित इस विश्वविद्यालय की शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। 2013 में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) से ‘ए’ श्रेणी की मान्यता प्राप्त हुई। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी इसी विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए, यह पहले चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष 16.37 लाख रुपये और अंतिम वर्ष में नौ लाख रुपये लेता है। दो-बिस्तर वाले छात्रावास के कमरे के लिए यह 3,10,000 रुपये का वार्षिक शुल्क लेता है।
‘अल फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर’ ने अपना पहला एमबीबीएस बैच 2019 में शुरू किया, जिस वर्ष इसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की मंजूरी मिली थी। हर साल एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए 200 सीटें और एमडी की 50 सीटें हैं। विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए 888 सीटें हैं।
विश्वविद्यालय परिसर के अंदर तीन कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग शामिल है।
विश्वविद्यालय में 650 बिस्तरों वाला एक अस्पताल है, जहां डॉक्टर मरीजों का मुफ्त इलाज करते हैं। इसमें एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी, अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष और अल फलाह इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भी हैं।
अल-फलाह विश्वविद्यालय के वर्तमान रजिस्ट्रार प्रोफेसर मोहम्मद परवेज हैं। डॉ. भूपिंदर कौर आनंद इसकी कुलपति हैं।
कई विशेषज्ञों के अनुसार, अपने प्रारंभिक वर्षों में अल-फलाह विश्वविद्यालय ने खुद को अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक विकल्प के रूप में पेश किया।
पुलिस ने बताया कि उन्होंने मंगलवार को पूरे दिन विश्वविद्यालय में निरीक्षण किया और कई लोगों से पूछताछ की।
सोमवार शाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास विस्फोटकों से लदी एक कार में हुए उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। पुलवामा का डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी अल-फलाह विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर था। ऐसा संदेह है कि विस्फोटकों से लदी हुंदै आई20 कार वही चला रहा था।
यह विस्फोट विश्वविद्यालय से जुड़े तीन चिकित्सकों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार करने और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त करने के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक ‘‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’’ का खुलासा हुआ, जो कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।
गिरफ्तार लोगों में शामिल डॉ. मुजम्मिल गनई अल-फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाता था।
अल फलाह विश्वविद्यालय ने बुधवार को कहा कि घटना के संबंध में गिरफ्तार किए गए उसके दो चिकित्सकों से उसका केवल पेशेवर संबंध है और वह इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से दुखी है।
इन चिकित्सकों से दूरी बनाते हुए विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि यह जिम्मेदार संस्थान है और देश के साथ एकजुटता से खड़ा है।
निजी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. भूपिंदर कौर आनंद ने एक बयान में कहा, ‘‘हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से बेहद दुखी और व्यथित हैं तथा इसकी निंदा करते हैं। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं इन दुखद घटनाओं से प्रभावित सभी निर्दोष लोगों के साथ हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी पता चला है कि हमारे दो चिकित्सकों को जांच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि विश्वविद्यालय का उक्त व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे विश्वविद्यालय में आधिकारिक रूप से काम कर रहे हैं।’’
भाषा शफीक