मासिक धर्म का प्रमाण मांगे जाने का महिला सफाई कर्मचारियों का आरोप; जांच के लिए याचिका दायर
सुभाष सुरेश
- 12 Nov 2025, 07:57 PM
- Updated: 07:57 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में महिला सफाई कर्मचारियों से उनके मासिक धर्म को तस्वीरों के जरिये साबित करने के लिए कहे जाने के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।
याचिका में, केंद्र और हरियाणा सरकार को कथित घटना की विस्तृत जांच करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
बार एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय से यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य, गरिमा, शारीरिक स्वायत्तता और निजता के अधिकार का हनन न हो।
पुलिस ने बताया कि एमडीयू से जुड़े तीन लोगों पर 31 अक्टूबर को यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने महिला सफाई कर्मचारियों से तस्वीरों के जरिये यह साबित करने को कहा कि उनका मासिक धर्म चालू है।
विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि उसने दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर दिया है, जिन्हें हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के माध्यम से अनुबंध पर नियुक्त किया गया था, जबकि घटना की आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं।
कथित घटना 26 अक्टूबर को हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष द्वारा परिसर का दौरा करने से कुछ घंटे पहले हुई।
तीन महिला सफाई कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय अधिकारियों को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि उनके ‘‘अस्वस्थ’’ होने के बावजूद उन्हें परिसर की सफाई के लिए मजबूर किया गया और फिर उनसे यह साबित करने के लिए कहा कि वे मासिक धर्म से गुजर रही हैं।
एमडीयू में 11 वर्षों से कार्यरत होने का दावा करने वाली एक सफाई कर्मचारी ने आरोप लगाया, ‘‘हमने उनसे कहा कि हम मासिक धर्म के कारण अस्वस्थ हैं, इसलिए हम तेजी से काम नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने हमसे इसे साबित करने के लिए (मासिक धर्म से) संबंधित तस्वीरें भेजने को कहा। जब हमने इनकार किया, तो हमारे साथ दुर्व्यवहार किया गया और नौकरी से निकालने की धमकी दी गई।’’
महिलाओं ने आरोप लगाया कि पर्यवेक्षकों ने उन्हें बताया कि वे सहायक कुलसचिव श्याम सुंदर के आदेशों का पालन कर रहे हैं।
सुंदर ने पर्यवेक्षकों को ऐसा कोई निर्देश देने से इनकार किया है।
पीजीआईएमएस थाने के प्रभारी ने कहा कि आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की मंशा और महिला पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग के आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि आरोपियों पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
भाषा सुभाष