भारत, बोत्सवाना ने चीता स्थानांतरण समझौते की घोषणा की; राष्ट्रपति मुर्मू ने अच्छी देखभाल की बात कही
नेत्रपाल पवनेश
- 12 Nov 2025, 09:33 PM
- Updated: 09:33 PM
(नीलाभ श्रीवास्तव)
गबोरोन (बोत्सवाना), 12 नवंबर (भाषा) भारत और बोत्सवाना ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राजकीय यात्रा के दौरान अफ्रीकी राष्ट्र से आठ चीतों को स्थानांतरित करने की योजना की औपचारिक घोषणा की।
मुर्मू ने बोत्सवाना के राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको और दुनिया के सबसे बड़े हीरा उत्पादक देशों में से एक के लोगों को इस सद्भावना के लिए धन्यवाद देते हुए आश्वासन दिया कि भारत उनकी (चीतों की) अच्छी देखभाल करेगा।
बोत्सवाना बृहस्पतिवार को प्रतीकात्मक रूप से चीतों को “महामहिम (मुर्मू)” को सौंपेगा।
दोनों राष्ट्राध्यक्ष एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें पकड़े गए आठ चीतों को मोकोलोडी प्राकृतिक अभयारण्य में एक पृथकवास परिसर में छोड़ा जाएगा, जो इन्हें ‘प्रोजेक्ट चीता’ के भाग के रूप में और वन्यजीव संरक्षण के लिए एक पारस्परिक पहल के तहत बोत्सवाना द्वारा भारत को प्रतीकात्मक रूप से सौंपे जाने का साक्ष्य होगा।
कालाहारी रेगिस्तान स्थित घांजी शहर से इन चीतों को गबोरोन से 10 किलोमीटर दक्षिण में स्थित प्राकृतिक अभयारण्य में लाया गया है।
बोत्सवाना चारों तरफ से जमीन से घिरा राष्ट्र है, जिसका 70 प्रतिशत भूभाग कालाहारी रेगिस्तान के दायरे में आता है।
पृथकवास प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आठ चीतों के कुछ महीनों में भारत पहुंचने की उम्मीद है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर विशेष खुशी हो रही है कि बोत्सवाना, भारत सरकार की एक अनूठी वन्यजीव संरक्षण पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत भारत में चीतों को फिर से बसाने में मदद कर रहा है।’’
उन्होंने यहां राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति और बोत्सवाना के लोगों की आभारी हूं कि वे अपने चीते भारत भेज रहे हैं। हम उनकी अच्छी देखभाल करेंगे।’’
मुर्मू मंगलवार को तीन-दिवसीय राजकीय यात्रा पर बोत्सवाना पहुंचीं। दक्षिणी अफ्रीका स्थित इस देश की किसी भारतीय राष्ट्रपति की यह पहली यात्रा है।
बोत्सवाना के राष्ट्रपति बोको ने कहा कि जैव विविधता सहयोग के एक भाग के रूप में, उपहारस्वरूप चीते सौंपने का कदम भारत में इनकी आबादी के ‘‘पुनरुत्थान में सहायता’’ करेगा।
बोत्सवाना के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें बताया गया कि चीतों में एक चीता का नाम भी उनके नाम की तरह ड्यूमा है। उन्होंने मजाक में कहा कि यह नाम गति, चपलता और आवश्यकता पड़ने पर झपटने की क्षमता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि जिसका नाम ड्यूमा है, यह नाम आप रहने देंगे, जिसका नाम ड्यूमा नहीं है, उसे आप अपनी तरफ से नाम देंगे...। उनकी इस बात पर दर्शक मुस्कराते दिखे।
दोनों राष्ट्र प्रमुख प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
सत्रह सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के एक विशेष बाड़े में छोड़ा था, जो एक बड़ी जंगली मांसाहारी प्रजाति के विश्व के पहले अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण को चिह्नित करता है।
बाद में, भारत ने फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते और मंगाए थे।
इस महत्वाकांक्षी पुनरुद्धार कार्यक्रम के तीन साल पूरे होने पर, देश में अब 27 चीते हैं, जिनमें से 16 भारतीय धरती पर जन्मे हैं। इनमें से 24 कूनो में और तीन गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (जीएसडब्ल्यूएस) में हैं, जो मध्यप्रदेश के मंदसौर और नीमच जिलों की सीमा पर स्थित है।
परियोजना शुरू होने के बाद से अब तक उन्नीस चीते- नौ आयातित वयस्क और भारत में जन्मे 10 शावक- विभिन्न कारणों से मर चुके हैं, जबकि कूनो में अब तक 26 शावक पैदा हो चुके हैं। अफ्रीका से 20 चीते आयात करने के बाद, भारत में वर्तमान में शुरुआती संख्या की तुलना में सात चीतों की वृद्धि हुई है।
मुर्मू और बोको दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए सहमति ज्ञापन (एमओयू) के आदान-प्रदान के भी साक्षी बने।
मुर्मू ने कहा कि बोत्सवाना की उनकी यात्रा “हमारे संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विकास साझेदारी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के आदर्शों पर आधारित है।’’
मुर्मू ने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच ‘‘बहुआयामी’’ संबंध और मज़बूत होंगे।
बोको ने कहा कि दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक और सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, क्योंकि भारत दवाओं, खासकर जेनेरिक दवाओं, के ‘‘अग्रणी’’ निर्माताओं में से एक है।
उन्होंने कहा कि यह सहयोग औषधि क्षेत्र में भी होगा, ताकि उनके देश में गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराई जा सकें, जो बोत्सवाना के लिए ‘‘गंभीर समस्या’’ का क्षेत्र है।
मुर्मू ने घोषणा की कि गबोरोन के अनुरोध पर भारत द्वारा बोत्सवाना को एआरवी (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) दवाओं की एक खेप भेजने का भी निर्णय लिया गया है।
बोको ने कहा, ‘‘हम अपने संबंधों को मजबूत करेंगे और आपसी चिंता के क्षेत्रों में एकजुट होंगे।’’
उन्होंने बोत्सवाना के लोगों के कौशल को बढ़ाने में भारत के सहयोग की भी सराहना की।
बोको ने मुर्मू की यात्रा को ‘‘ऐतिहासिक’’, ‘‘महत्वपूर्ण’’ और ‘‘उल्लेखनीय’’ घटना बताया, क्योंकि यह (यात्रा) दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 60 साल बाद हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘आपकी (राष्ट्रपति मुर्मू) यात्रा सबसे उपयुक्त समय पर हुई है। हम बोत्सवाना की अर्थव्यवस्था में बदलाव और अपने देश के पुनरुद्धार से संबंधित पहलों को मज़बूत करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेंगे।’’
भाषा नेत्रपाल