राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन : हरिवंश ने अधिक विधायी जवाबदेही का आह्वान किया
अविनाश नरेश
- 11 Nov 2025, 08:06 PM
- Updated: 08:06 PM
कोहिमा, 11 नवंबर (भाषा) राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने मंगलवार को अधिक विधायी जवाबदेही, क्षेत्रीय सहयोग और समावेशी विकास पर लगातार ध्यान देने का आह्वान किया।
वह राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र जोन तीन के 22वें वार्षिक सम्मेलन के समापन सत्र में बोल रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन नगालैंड विधानसभा द्वारा किया गया है।
दो दिनों तक हुई चर्चा का जिक्र करते हुए हरिवंश ने कहा कि सत्रों में जीवंत बहस और लोक कल्याण के प्रति साझा प्रतिबद्धता के साथ "संसदीय लोकतंत्र की सच्ची भावना" दिखाई दी।
उन्होंने विधायी संस्थानों को मज़बूत करने के लिए "प्रेरक नेतृत्व और अथक प्रयासों" को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और तथा पूर्ण सत्रों के बेहतरीन तरीके से संचालन के लिए नगालैंड के विधानसभा अध्यक्ष शारिंगैन लांगकुमेर का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने ‘‘2047 का भारत’’ विषय पर जोर देते हुए कहा कि हर राज्य को विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाते हुए अपने विकास लक्ष्य तय करने चाहिए।
हरिवंश ने पूर्वोत्तर राज्यों के विधानसभाध्यक्षों और प्रतिनिधियों द्वारा समावेशी विकास, नवाचार और स्थिरता पर साझा की गई जानकारियों की सराहना करते हुए कहा कि विधायिकाओं को "ज़मीनी स्तर पर कार्यान्वयन की निगरानी और जवाबदेही" सुनिश्चित करनी चाहिए।
सिक्किम के जैविक खेती मॉडल और मेघालय के भूमि एवं श्रम कानूनों में सुधारों के उदाहरण देते हुए हरिवंश ने सतत विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों की समीक्षा के लिए विकसित भारत पर सालाना विधायी चर्चाओं का आह्वान किया।
उन्होंने जटिल शासन चुनौतियों से निपटने में प्रौद्योगिकी, नवाचार और अनुसंधान की भूमिका को रेखांकित किया।
पर्यावरण स्थिरता की चर्चा करते हुए उन्होंने खोनोमा गांव की अपनी यात्रा का ज़िक्र किया और उसे "टिकाऊ जीवन का जीता-जागता उदाहरण" बताया तथा विधायिकाओं से अनुकूल योजना और क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "ऐसे सम्मेलन आम सहमति बनाने और सुसंगत दृष्टिकोण के साथ कार्य करने के लिए महत्वपूर्ण मंच हैं।"
हरिवंश ने कहा कि लोकतंत्र की ताकत सिर्फ कानूनों में नहीं है, बल्कि "उस ईमानदारी में है जिसके साथ हम लोगों के विश्वास को बनाए रखते हैं।"
नगालैंड के बिजली और संसदीय मामलों के मंत्री केजी केन्ये ने अपने समापन भाषण में कहा कि सम्मेलन में पूर्ण सत्र, प्रदर्शनियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल थे, जो विधायी नवाचार, प्रक्रियात्मक सुधार, पारदर्शिता तथा समावेशी शासन को प्रदर्शित करते थे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में राष्ट्रमंडल की भावना का भी प्रदर्शन किया गया।
भाषा अविनाश