भाजपा, आरएसएस एवं मौलाना नकवी को अपमानित करने के आरोपी पूर्व मंत्री आजम खान बरी
सं जफर मनीष शफीक
- 07 Nov 2025, 11:07 PM
- Updated: 11:07 PM
लखनऊ, सात नवंबर (भाषा) एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान को कथित रूप से वैमनस्यता फैलाने, आधिकारिक सरकारी लेटरहेड और मुहर का दुरुपयोग करने तथा भाजपा, आरएसएस और प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से संबंधित मामले में बरी कर दिया।
फैसला सुनाते हुए एमपी/एमएलए विशेष अदालत के एसीजेएम आलोक वर्मा ने कहा कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य के साथ आरोपों को साबित करने में विफल रहा।
विशेष अदालत ने आजम खान को बरी करते हुए अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि बचाव पक्ष का यह कथन स्वीकार करने योग्य है कि घटना वर्ष 2014 की बताई जाती है, परंतु इस घटना को लेकर वादी अल्लामा अमीर नकवी द्वारा वर्ष 2019 में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 468 की व्याख्या करते हुए कहा कि यह मामला काल बाधित भी हो चुका है।
अदालत ने बचाव पक्ष के इस कथन को भी स्वीकार किया कि यह रिपोर्ट मौलाना कल्बे जव्वाद की ओर से वादी अल्लामा अमीर नकवी द्वारा लिखाई गई है, परंतु अल्लामा अमीर नकवी न तो पीड़ित पक्ष हैं और न ही उन्हें रिपोर्ट दर्ज कराने का कोई विधिक अधिकार था।
अदालत में वादी अल्लामा अमीर नकवी ने अपनी जिरह के दौरान स्वीकार किया है कि उनकी इस प्रकरण में कोई मानहानि नहीं हुई है।
अदालत ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि कथित प्रेस विज्ञप्ति को वादी द्वारा विवेचक को दिया जाना कहा गया है परंतु वह प्रेस विज्ञप्ति ना तो पत्रावली पर है और न ही उसका केस डायरी में कोई हवाला है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, एक फरवरी 2019 को हजरतगंज पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि खान ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग करके भाजपा, आरएसएस और नकवी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री प्रसारित की, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि को नुकसान पहुंचा।
शिकायत में यह भी दावा किया गया था कि शुरुआत में सरकारी दबाव में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने दी गई थी।
इस आदेश के साथ, अदालत ने 2019 के मामले में खान को सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, आजम खान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह फैसला बहुत ईमानदार है। मैं केवल न्यायाधीश के लिए प्रार्थना कर सकता हूं और उनका धन्यवाद कर सकता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कानून-व्यवस्था के बारे में, मैं बस इतना कहूंगा कि केवल ‘व्यवस्था’ ही बची है। कानून को न्याय के रूप में अस्तित्व में रहना चाहिए जैसा कि आज हुआ है।’’
भाषा सं जफर मनीष