कई बैंक डकैतियों में शामिल गिरोह का सरगना दिल्ली में गिरफ्तार
संतोष सुभाष
- 07 Nov 2025, 08:24 PM
- Updated: 08:24 PM
नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कई बैंकों को निशाना बनाने वाले कुख्यात ‘मामू गिरोह’ के उस 51 वर्षीय सरगना को गिरफ्तार कर लिया है जो वारदात को अंजाम देने से पहले फल विक्रेता का वेश धारण करके लक्षित ठिकानों की टोह लेता था। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) हर्ष इंदौरा ने एक बयान में कहा, ‘‘दिन में वह एक साधारण फल विक्रेता के वेश में चुपचाप बैंक परिसर का निरीक्षण करता था, कर्मचारियों की दिनचर्या पर नजर रखता था और सुरक्षा खामियों का पता लगाता था। टोह लेने के बाद, रात में वह अपने गिरोह के सदस्यों को सटीकता से वारदात को अंजाम देने के लिए प्रेरित करता था जिसमें तिजोरियों में सेंध लगाना और अलार्म बंद करना शामिल है।
अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश निवासी आरोपी कमरुल उर्फ मामू कर्नाटक और महाराष्ट्र में बैंक चोरी के कई मामलों में वांछित है।
डीसीपी ने कहा, ‘‘वह गिरोह का सरगना और साजिकर्ता है जो पकड़े जाने से बचने के लिए वेश बदलने के लिए जाना जाता था।’’
उन्होंने बताया कि अपराध शाखा की एक टीम ने इलाके में उसकी गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद पांच नवंबर को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के महावीर एन्क्लेव से उसे गिरफ्तार किया।
अधिकारी ने बताया कि कमरुल इस इलाके में एक झूठी पहचान के साथ रह रहा था और अपनी असलियत को छिपाने के लिए स्थानीय बाजारों में फल बेच रहा था।
पुलिस की टीम ने उत्तम नगर में जाल बिछाया और उसे धर दबोचा। अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच पड़ताल से पुष्टि हुई कि वह कर्नाटक में तीन बड़े बैंक चोरी के मामलों में वांछित आरोपी है।’’
पूछताछ के दौरान कमरुल ने माना कि ‘मामू गिरोह’ का सरगना वही है जो महाराष्ट्र और कर्नाटक में बैंक डकैती के लिए जिम्मेदार एक संगठित अंतरराज्यीय गिरोह है।
पुलिस ने कहा कि यह गिरोह चोरी की घटनाओं को अंजाम देने से पहले वेश बदलकर और टोह लेकर चतुराई से काम करता था।
डीसीपी इंदौरा ने कहा, ‘‘गिरोह के सदस्य फल विक्रेता के रूप में दिन में बैंकों के पास के बाजार में भीड़ के बीच घुलमिल जाते थे। इस तरह वे प्रवेश और निकास बिंदुओं, गार्ड की गतिविधियों, कर्मचारियों की दिनचर्या और सुरक्षा खामियों का पता लगा लेते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘साजिश रचने के बाद वे रात में विशेष उपकरणों का इस्तेमाल करके अलार्म और सीसीटीवी सिस्टम को निष्क्रिय कर देते थे और फिर तिजोरियों में सेंध लगाते थे।’’
पुलिस के अनुसार, चोरी करने के बाद गिरोह के सदस्य जल्दी से तितर-बितर होकर अलग-अलग शहरों में पहुंच जाते थे और पकड़े जाने से बचने के लिए फिर से फल विक्रेता का वेश धारण कर लेते थे।
अधिकारी ने कहा कि कमरुल की गिरफ्तारी के साथ कर्नाटक में दर्ज बैंक चोरी के तीन बड़े मामले सुलझ गए हैं। कमरुल के खिलाफ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पहले भी दस से अधिक मामले दर्ज हैं।
उन्होंने बताया कि आरोपी अनपढ़ है, लेकिन साजिश के तहत चोरी की वारदातों को अंजाम देने में माहिर है और लगभग तीन दशकों से विभिन्न राज्यों में सक्रिय था।
उन्होंने कहा, ‘‘वह एक शहर से दूसरे शहर जाता था। स्थानीय लोगों की भर्ती करता था और समन्वय के लिए कूट भाषा का इस्तेमाल करता था।’’
‘मामू गिरोह’ के अन्य सदस्यों की पहचान करने और उनकी आय का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
भाषा संतोष