कांग्रेस ने सांप्रदायिक एजेंडे की वजह से 1937 में वंदे मातरम का संक्षिप्त संस्करण अपनाया : भाजपा
वैभव दिलीप
- 07 Nov 2025, 07:02 PM
- Updated: 07:02 PM
नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 1937 में वंदे मातरम के संक्षिप्त संस्करण को अपनाने को लेकर शुक्रवार को कांग्रेस की आलोचना की।
भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने ‘सांप्रदायिक एजेंडे’ को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र गीत से देवी दुर्गा की स्तुति वाले छंदों को हटा दिया।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सी. आर. केशवन ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि नेहरू की ‘हिंदू विरोधी मानसिकता’ की ‘तीखी प्रतिध्वनि’ कांग्रेस नेता में सुनाई देती है, जिन्होंने हाल में छठ पूजा को ‘नाटक’ बताकर उसका अपमान किया, जिससे करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुईं।
केशवन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारी युवा पीढ़ी के लिए यह जानना जरूरी है कि कैसे नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी ने बेशर्मी से अपने सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए, 1937 के फैजपुर अधिवेशन में केवल एक संक्षिप्त वंदे मातरम को पार्टी के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी विशेष धर्म या भाषा से संबंधित नहीं था। लेकिन कांग्रेस ने इस गीत को धर्म से जोड़ने का ऐतिहासिक पाप और भूल की। नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर जानबूझकर वंदे मातरम के उन छंदों को हटा दिया जिनमें देवी मां दुर्गा का गुणगान किया गया था।’’
केशवन ने दावा किया कि नेहरू ने 1 सितंबर, 1937 को लिखे एक पत्र में ‘द्वेषपूर्ण’ रूप से लिखा था कि जो कोई भी वंदे मातरम के शब्दों को देवी से संबंधित मानता है, वह ‘बेतुका’ है।
उन्होंने कहा कि नेहरू ने ‘व्यंग्यात्मक’ रूप से यह भी कहा था कि वंदे मातरम राष्ट्र गीत के रूप में उपयुक्त नहीं है।
भाजपा नेता ने दावा किया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने वंदे मातरम के पूर्ण मूल संस्करण की ‘पुरजोर’ वकालत की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘20 अक्टूबर, 1937 को, नेहरू ने नेताजी बोस को पत्र लिखकर दावा किया कि वंदे मातरम की पृष्ठभूमि मुसलमानों को नाराज कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम के खिलाफ हो-हल्ले में ठोस तथ्य दिखाई देते हैं और सांप्रदायिकता की ओर झुकाव रखने वाले लोग इससे प्रभावित हुए हैं।’’
केशवन ने कहा कि वंदे मातरम राष्ट्र की एकता और एकजुटता की आवाज़ बन गया। उन्होंने कहा कि यह ‘‘हमारी मातृभूमि का उत्सव मनाता है, राष्ट्रवादी भावना का संचार करता है और देशभक्ति को बढ़ावा देता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘1937 में, अगर कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू ने वंदे मातरम को छोटा करके देवी मां दुर्गा का उल्लेख हटा दिया था, तो मार्च 2024 में राहुल गांधी ने दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी की: ‘हिंदू धर्म में शक्ति नाम का एक शब्द है और हम शक्ति के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं’।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘नेहरू की हिंदू विरोधी मानसिकता राहुल गांधी में तीव्रता से प्रतिध्वनित होती है, जिन्होंने हाल में पवित्र छठ पूजा को एक नाटक बताकर करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।’’
भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि वंदे मातरम के मूल संस्करण को छोटा कर दिया गया, क्योंकि नेहरू ने स्वयं जिन्ना को समझाया था कि ‘‘कुछ छंद मुसलमानों के लिए आपत्तिजनक हैं।’’
भाषा वैभव