बंगाल में मतदाता सूची की एसआईआर प्रक्रिया शुरू, 16 लाख गणन प्रपत्र वितरित किए गए
संतोष नरेश
- 04 Nov 2025, 07:44 PM
- Updated: 07:44 PM
कोलकाता, चार नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में मंगलवार को मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू हो गया जिसके तहत 80,000 से अधिक बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) गणना प्रपत्र वितरित करने के लिए घर-घर पहुंच रहे हैं। इसी के साथ वर्ष 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य में एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील कवायद शुरू हो गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शाम चार बजे तक बीएलओ द्वारा 16 लाख से अधिक गणना प्रपत्र वितरित किए गए।
घर-घर जाकर गणना करने की प्रक्रिया बीएलओ द्वारा प्रपत्र वितरित करने और मतदाताओं को प्रक्रिया समझाने के साथ काफी हद तक शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुई। गणना करने की प्रक्रिया चार दिसंबर तक जारी रहेगी।
हालांकि, शुरुआत में कुछ अड़चनें भी आईं और एक तकनीकी गड़बड़ी ने पहले दिन प्रपत्र के ऑनलाइन वितरण को बाधित कर दिया, जबकि बीएलओ के रूप में कार्यरत सैकड़ों स्कूली शिक्षकों को अपनी नियमित कक्षाओं के साथ चुनावी कर्तव्यों को संतुलित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में एसआईआर का स्वागत किया है, वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस प्रक्रिया को शुरू किये जाने के समय और मंशा को लेकर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है। टीएमसी ने कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए भाजपा के दबाव में काम कर रहा है।
निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कुल मिलाकर 294 विधानसभा क्षेत्रों में इस प्रक्रिया को संचालित करने के लिए 80,681 बीएलओ तैनात किए गए हैं। लगभग 7.66 करोड़ गणना प्रपत्र तैयार किए गए हैं, और प्रत्येक मतदाता को दो प्रतियां मिलेंगी - एक मुहर लगी पावती के साथ रखने के लिए और एक निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड के लिए।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘अभी तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। हमें उम्मीद है कि यह प्रक्रिया पूरे राज्य में सुचारु रूप से चलेगी।’’
पश्चिम बंगाल में 23 साल के अंतराल के बाद एसआईआर का आयोजन किया जा रहा है। राज्य में आखिरी एसआईआर वर्ष 2002 में आयोजित किया गया था।
हालांकि, तकनीकी समस्याओं के कारण मतदाता पोर्टल के शुरू नहीं हो पाने के कारण निर्वाचन आयोग की एक साथ ऑनलाइन प्रपत्र वितरण की योजना को झटका लगा।
एक अन्य अधिकारी ने समय-सीमा बताए बिना कहा, ‘‘यह एक तकनीकी समस्या के कारण है। हमें उम्मीद है कि यह सेवा कुछ दिनों में चालू हो जाएगी।’’
इस बाधा के बावजूद सीईओ कार्यालय के अधिकारियों ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रियाएं सुचारु रूप से चलेंगी, और इस प्रक्रिया को पश्चिम बंगाल में दो दशकों में मतदाता सूची को अद्यतन बनाने की सबसे व्यापक कवायद बताया।
इस बीच, पश्चिम बंगाल शिक्षक संघ ने चिंता व्यक्त की कि बीएलओ के रूप में प्रतिनियुक्त बड़ी संख्या में शिक्षक मंगलवार को प्रपत्र वितरण में भाग नहीं ले सके क्योंकि उन्हें अपने स्कूलों में रिपोर्ट करना था।
संघ के एक पदाधिकारी गुलाम मुस्तफा सरकार ने कहा, ‘‘कई शिक्षक स्कूल में ड्यूटी पर होने के कारण घर-घर जाकर प्रपत्र वितरण प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके। जिनके स्कूल वितरण केंद्रों के पास हैं, वे किसी तरह दोनों काम संभाल रहे हैं।’’
संघ ने मांग की है कि एसआईआर ड्यूटी में लगे शिक्षकों को ‘ड्यूटी पर तैनात’ माना जाए ताकि उन्हें ‘अमानवीय कार्यभार’ से बचाया जा सके।
सरकार ने कहा, ‘‘शिक्षकों को ‘ड्यूटी पर तैनात’ नहीं माने जाने पर उन्हें शैक्षणिक और चुनाव संबंधी दोनों काम एक साथ करने पड़ रहे हैं।’’ उन्होंने उन शिक्षकों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भी उठाया, जिन्हें स्कूल के बाद शाम को दूरदराज के इलाकों में जाना पड़ सकता है।
मुर्शिदाबाद के एक शिक्षक ने कहा कि वह मंगलवार की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाए, लेकिन अगले सार्वजनिक अवकाश पर इसकी भरपाई करने की योजना बना रहे हैं।
कई बीएलओ ने यह भी शिकायत की है कि उन्हें गणना प्रक्रिया के लिए आवश्यक मोबाइल फोन अभी तक नहीं मिले हैं।
मतदाताओं की सहायता के लिए पश्चिम बंगाल भर के जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) के कार्यालयों में एसआईआर से संबंधित हेल्प डेस्क खोले गए हैं, जबकि प्रमुख राजनीतिक दलों (जिनमें टीएमसी, भाजपा और माकपा शामिल हैं) ने भी ‘लोगों को प्रपत्र भरने और सत्यापन में सहायता’ करने के लिए जिला और स्थानीय कार्यालयों में अपने मतदाता सहायता काउंटर स्थापित किए हैं।
निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची नौ दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी। दावे और आपत्तियां नौ दिसंबर से आठ जनवरी के बीच उठाई जा सकती हैं, जिसके बाद 31 जनवरी तक सुनवाई और सत्यापन का काम किया जाएगा।
अंतिम मतदाता सूची विधानसभा चुनाव से महज दो महीने पहले सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी। विधानसभा चुनाव के अगले साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है।
भाषा संतोष