मध्यप्रदेश में एसआईआर 50 लाख लोगों को मताधिकार से वंचित करने की 'साज़िश': कांग्रेस
राजकुमार
- 29 Oct 2025, 06:38 PM
- Updated: 06:38 PM
भोपाल, 29 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा मध्यप्रदेश समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने की प्रक्रिया पर बुधवार को सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले तकरीबन 50 लाख मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘साज़िश’ है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम करार दिया और कहा कि इससे निर्वाचन आयोग की मंशा पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एसआईआर की वर्तमान प्रक्रिया और समय सीमा मतदाता अधिकार एवं कमजोर वर्गों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर सीधा खतरा है। यह मतदाता सूची की सफाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल अधिकारों की कटौती एवं उनपर नियंत्रण है।’’
सिंघार ने कहा कि आयोग की प्रक्रिया पर नियंत्रण, पारदर्शिता और निष्पक्षता के सवाल प्रमुख हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मध्यप्रदेश में करीब 22 प्रतिशत आबादी आदिवासी है और इनमें बहुसंख्यक दूरदराज़ क्षेत्रों में रहते हैं, जहां डिजिटल और दस्तावेज़ी पहुंच सीमित है।
उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे में लाखों आदिवासी मतदाता बिना गलती के सूची से हट सकते हैं।
उन्होंने कहा कि 2011 जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश के करीब 25 लाख निवासी दूसरे राज्यों में प्रवासी मजदूर थे जबकि एक अनुमान के मुताबिक यह संख्या अब 45 लाख के करीब पहुंच गई होगी।
सिंघार ने कहा कि आयोग ने एसआईआर के लिए जिन 13 दस्तावेजों की सूची दी है, उनमें वनाधिकार प्रमाण पत्र शामिल है, जबकि राज्य सरकार ने मार्च 2025 तक तीन लाख से अधिक वन अधिकार दावों को खारिज कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रमाणपत्र के अभाव में ये आदिवासी मतदाता अपने अधिकारों से वंचित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर 50 लाख मतदाताओं के नाम काटने की तैयारी है। अगले विधानसभा चुनाव को लेकर यह भाजपा की साज़िश है और वह अभी से इसकी बिसात बिछा रही है।’’
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के माध्यम से भाजपा आदिवासी ही नहीं दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को भी निशाना बना रही है।
उन्होंने आशंका जताई, ‘‘बिहार में एसआईआर बाद करीब 47 लाख नाम हटाये गए। यदि यही पैटर्न अन्य बड़े राज्यों में दोहराया गया तो करोड़ों मतदाताओं के नाम सूची से नाम हट सकते हैं।’’
सिंघार ने कहा कि आयोग का दावा है कि बारह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 51 करोड़ मतदाताओं की घर-घर गिनती मात्र 30 दिनों (चार नवम्बर–चार दिसंबर 2025) में पूरी कर ली जाएगी।
उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘इतनी विशाल एवं जटिल प्रक्रिया इतने कम समय में कैसे संभव है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह शीघ्रता आयोग की ज़मीनी समझ या नीतिगत जल्दबाज़ी को दर्शाती है, जिससे लाखों वैध मतदाता पंजीकरण से छूट सकते हैं।’’
नेता प्रतिपक्ष ने यह सवाल भी उठाया कि किस आधार पर बारह राज्यों में एसआईआर कराने का फैसला किया गया और असम को इससे बाहर क्यों रखा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘चयन मानदण्डों का पारदर्शी खुलासा सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया, जिससे निर्णय की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।’’
सिंघार ने कहा, ‘‘असम को एसआईआर से बाहर रखने के पीछे एनआरसी का बहाना संदिग्ध है, जबकि एनआरसी नागरिकता और एसआईआर मतदाता अधिकार की बिल्कुल भिन्न प्रक्रियाएं हैं। ऐसे विशेष व्यवहार से पक्षपात की आशंका बढ़ती है।’’
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को घोषणा की थी कि आयोग 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के एसआईआर के दूसरे चरण का संचालन करेगा।
इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
कुमार ने स्पष्ट किया है कि असम के लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी।
भाषा ब्रजेन्द्र