भारत में 2024-25 में तांबे की मांग 9.3 प्रतिशत बढ़ी: रिपोर्ट
राजेश राजेश पाण्डेय
- 29 Oct 2025, 06:30 PM
- Updated: 06:30 PM
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) मजबूत आर्थिक प्रगति और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तांबे के बढ़ते उपयोग के कारण वित्तवर्ष 2024-25 में भारत में इस धातु की मांग 9.3 प्रतिशत बढ़कर 1,878 किलो टन हो गई। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया (आईसीए इंडिया) ने वित्तवर्ष 2024-25 के लिए अपनी तांबे की मांग रिपोर्ट जारी की। वित्तवर्ष 2023-24 में देश में तांबे की मांग 1,718 किलो टन थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, भवन निर्माण, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों पर भारत के निरंतर जोर ने प्रमुख औद्योगिक सामग्रियों की मांग को तेज कर दिया है, और तांबा इन क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक के रूप में उभर रहा है।
भवन निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र क्रमशः 11 प्रतिशत और 17 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए विकास के प्राथमिक चालक बने रहे।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने वित्तवर्ष 2024-25 में सबसे अधिक वार्षिक क्षमता वृद्धि हासिल की, जबकि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के क्षेत्र में 19 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो एयर कंडीशनर, पंखे, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन की मजबूत बिक्री से प्रेरित थी।
आईसीए इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर करमरकर ने कहा, ‘‘भारत में तांबे की मांग का रुझान देश की आर्थिक और औद्योगिक गति को दर्शाता है। नवीकरणीय ऊर्जा, सतत गतिशीलता और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने तांबे की मांग को बढ़ावा दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह पूछना ज़रूरी है- क्या तांबे की मांग में वृद्धि की वर्तमान गति वर्ष 2047 तक देश के दीर्घकालिक विकसित भारत (विकसित भारत) एजेंडे को पूरा करने के लिए पर्याप्त है?’’
भविष्य के विकास और टिकाऊपन को सुनिश्चित करने के लिए, भारत को कार्यात्मक तांबे के भंडार बनाने और घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत करने की सक्रिय योजना बनानी चाहिए।
मयूर ने कहा, ‘‘बुनियादी ढांचे, स्वच्छ ऊर्जा और गतिशीलता सहित अंतिम-उपयोगकर्ता क्षेत्रों की भूमिका केंद्रीय बनी रहेगी, लेकिन घरेलू तांबा निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और आयात प्रतिस्थापन रणनीतियों को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।’’
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