शीर्ष अदालत ने ओबीसी सूची पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई
धीरज संतोष
- 28 Jul 2025, 06:04 PM
- Updated: 06:04 PM
नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को राहत देते हुए सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के 17 जून के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की संशोधित सूची के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया गया था।
प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया उच्च न्यायालय का आदेश त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि यदि पक्षकार इच्छुक हों तो वे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध कर सकते हैं कि वे इस मुद्दे पर छह सप्ताह के निर्धारित समय सीमा में निर्णय करने के लिए एक नई पीठ गठित करें।
इससे पहले पीठ ने राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है। उच्च न्यायालय ऐसा आदेश कैसे दे सकता है? आरक्षण कार्यपालिका के कार्य का हिस्सा है।’’ प्रधान न्यायाधीश ने चुनौती दिये गए आदेश के कुछ हिस्सों का उल्लेख करते हुए कहा कि जारी किये गये निर्देशों की समग्रता में व्याख्या किये जाने की आवश्यकता है।
सीजेआई ने कहा, ‘‘हम इस पर नोटिस जारी करेंगे। यह आश्चर्यजनक है। उच्च न्यायालय इस तरह कैसे रोक लगा सकता है? आरक्षण कार्यपालिका के कार्यों का हिस्सा है। इंदिरा साहनी (मंडल फैसले) से ही यह स्थापित कानून है, स्थिति यह है कि कार्यपालिका ऐसा कर सकती है।’’
पीठ ने कहा कि आरक्षण देने के लिए कार्यकारी निर्देश पर्याप्त हैं और इसके लिए कानून बनाना आवश्यक नहीं है।
न्यायमूर्ति गवई ने सवाल किया, ‘‘हम आश्चर्यचकित हैं... उच्च न्यायालय की क्या दलील है?’’
सिब्बल ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे शिक्षकों और अन्य की नियुक्तियां रुक गई हैं।
प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार और गुरु कृष्णकुमार ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की याचिका का विरोध किया।
कृष्णकुमार ने दलील दी कि राज्य कार्यकारी आदेश के तहत आरक्षण देने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन कुछ निर्णय ऐसे भी हैं, जिनमें कहा गया है कि यदि इसे नियंत्रित करने वाला विधायी ढांचा है, तो कानून की कठोरता का पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नई ओबीसी सूची बिना किसी आंकड़े के तैयार की गई है।
सिब्बल ने हालांकि कृष्णकुमार की दलील का विरोध करते हुए कहा कि नई सूची राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा ताजा सर्वेक्षण और रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है।
शीर्ष अदालत ने कहा,‘‘नोटिस जारी किया जाए। इस बीच, चुनौती दिये गए आदेश पर रोक रहेगी।’’
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 17 जून को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के तहत 140 उपवर्गों को आरक्षण देने के संबंध में जारी अधिसूचनाओं पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था।
ओबीसी सूची में 77 समुदायों को शामिल करने के फैसले को मई 2024 में उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने के बाद राज्य ने नयी सूची तैयार की थी।
भाषा धीरज