नक्सलियों को मानसून में भी चैन से नहीं बैठने देंगे, बारिश में भी अभियान जारी रहेगा: अमित शाह
संजीव नोमान
- 22 Jun 2025, 07:37 PM
- Updated: 07:37 PM
(तस्वीरों के साथ)
रायपुर, 22 जून (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि नक्सलियों के खिलाफ बारिश में भी अभियान चलेगा और उन्हें सोने नहीं दिया जाएगा।
शाह ने माओवादियों से किसी भी तरह की बातचीत से इनकार करते हुए उनसे हथियार डालने और विकास की यात्रा में शामिल होने का अनुरोध किया।
गृह मंत्री छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर अटल नगर में राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) परिसर और केंद्रीय न्यायालयिक प्रयोगशाला की आधारशिला रखने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
शाह ने कहा, ''हर बार बारिश के मौसम में नक्सली थोड़ा आराम करते थे (क्योंकि घने जंगल के अंदर उफनती नदियां और नाले नक्सल विरोधी अभियानों में बाधा डालते हैं), लेकिन इस बार, हम उन्हें मानसून के दौरान सोने नहीं देंगे और हम 31 मार्च के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और आगे बढ़ेंगे।''
उन्होंने कहा कि वह नक्सलवाद की राह पर चले गए भटके युवाओं से हथियार छोड़ने की अपील करना चाहते हैं।
शाह ने कहा, ''विष्णु देव साय जी ने बहुत ही आकर्षक आत्मसमर्पण नीति बनाई है, हथियार डाल दीजिए और नए छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा में शामिल हो जाइए। आत्मसमर्पण करने का इससे बेहतर मौका आपको कभी नहीं मिलेगा।”
गृह मंत्री ने कहा कि किसी बातचीत की जरूरत नहीं है, सरकार पर भरोसा कीजिए, हथियार डाल दीजिए और मुख्यधारा में शामिल हो जाइए और “आप अपने आप छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा में शामिल हो जाएंगे।”
उन्होंने कहा, ''जिन लोगों ने हथियार डाले हैं उनका भी मैं सामाजिक जीवन में वापस आने पर स्वागत करता हूं और विश्वास दिलाता हूं कि छत्तीसगढ़ की सरकार और केंद्र की सरकार ने जो वादा आपके साथ किया है, उस वादे को हम पूरा करेंगे और उससे अधिक भी आपकी सहायता करने का प्रयास करेंगे।''
शाह ने कहा कि तीन नए कानूनों - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद, भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली बन जाएगी और देश अधिक साक्ष्य-आधारित आपराधिक न्याय के युग में प्रवेश करेगा।
उन्होंने कहा, ''तीनों आपराधिक कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद, हमारे देश के किसी भी कोने में दर्ज की गई कोई भी प्राथमिकी शिकायतकर्ता और पीड़ित को तीन साल के भीतर उच्चतम न्यायालय तक न्याय सुनिश्चित करेगी। न्याय में तीन साल से अधिक की देरी नहीं होगी।''
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ''हमने इन तीन आपराधिक न्याय कानूनों के माध्यम से एक आधुनिक, त्वरित और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली बनाने की दिशा में काम किया है।''
शाह ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है। 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य सिर्फ नवाचार, बुनियादी ढांचे, औद्योगिक और आर्थिक विकास पर ही केंद्रित नहीं है, बल्कि समय पर न्याय सुनिश्चित करना भी इसमें शामिल है तथा तीन नए कानून समय पर न्याय सुनिश्चित करने में मदद करेंगे।''
उन्होंने कहा, ''एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) की मदद से भारत कुछ ही सालों में दुनिया में सबसे ज्यादा सजा दर वाले देशों में शामिल हो जाएगा। 160 साल पुराने औपनिवेशिक कानून को खत्म करने के बाद लाए गए नए कानूनों में हमने यह अनिवार्य कर दिया है कि सात साल से ज्यादा की सजा वाले सभी अपराधों के लिए फोरेंसिक विज्ञान टीम का घटनास्थल पर जाना अनिवार्य होगा, इससे पता चलता है कि हमारे देश में फोरेंसिक विज्ञान की अपार संभावनाएं हैं।''
कार्यक्रम के दौरान, शाह ने रायपुर के सेजबहार क्षेत्र में एनएफएसयू के ट्रांजिट कैंपस और आई-हब छत्तीसगढ़ का भी उद्घाटन किया।
नवा रायपुर में एनएफएसयू कैंपस 145 करोड़ रुपये और सीएफएसएल 123 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने संस्थानों के लिए जमीन दी है।
उन्होंने कहा कि एनएफएसयू का पूरा कैंपस अगले तीन साल में विकसित किया जाएगा।
शाह ने कहा, ''छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर, बिलासपुर, दुर्ग और जगदलपुर में चार क्षेत्रीय राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं हैं। अब सीएफएसएल की भी स्थापना की जाएगी, जिससे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को बहुत बड़ी ताकत मिलेगी। अब किसी को दूसरे राज्य में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और फोरेंसिक सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूरी जांच नवा रायपुर अटल नगर में ही हो जाएगी।''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अपनी स्थापना के बहुत कम समय में ही एनएफएसयू के अब 16 परिसर हो गए हैं, जिनमें से सात स्थापित हो चुके हैं, नौ स्वीकृत हैं जबकि 10 अतिरिक्त परिसर प्रस्तावित हैं।
उन्होंने कहा, “एनएफएसयू देश के 26 प्रमुख स्थानों पर अपने कार्यों का विस्तार करने जा रहा है और पूर्ण विकास के बाद आने वाले वर्षों में हर साल 32 हजार फोरेंसिक विशेषज्ञ उभरेंगे और हमारी आवश्यकता हर साल 30 हजार से अधिक नहीं है। फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर बनेंगे।”
शाह ने कहा कि इस दिन शुरू की गई आई-हब हाई होप पहल से न केवल युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें तकनीकी सहायता भी मिलेगी और उनके उपक्रमों की व्यावहारिकता की जांच भी की जाएगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन मौजूद थे।
भाषा संजीव