अमेरिकी हमलों के बाद इजराइल-ईरान संघर्ष ‘निर्णायक चरण’ में : विशेषज्ञ
शफीक सुभाष
- 22 Jun 2025, 07:38 PM
- Updated: 07:38 PM
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि रविवार तड़के ईरान के तीन प्रमुख प्रतिष्ठानों पर अमेरिका द्वारा बमबारी किये जाने के बाद इजराइल-ईरान संघर्ष एक ‘‘निर्णायक चरण’’ में प्रवेश कर गया है। वहीं, उनमें से कुछ का यह भी मानना है कि वाशिंगटन की यह ‘‘जिम्मेदारी’’ थी कि वह सैन्य टकराव में शामिल नहीं हो।
पूर्व राजनयिक और लेखक राजीव डोगरा ने अमेरिकी हमले की आलोचना की और कहा कि यह वक्त ही बताएगा कि हमलों के बाद क्या ‘‘विकिरण हुआ है या उसे किसी तरह से नियंत्रित कर लिया गया है।’’
भारत और ईरान के बीच पुराने सभ्यतागत संबंधों को रेखांकित करते हुए कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका के शामिल होने से ईरान-इजराइल टकराव तेज होने के कारण द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है।
उन्होंने आगाह किया कि यदि तेहरान अमेरिकी हमलों के जवाब में होर्मुज जलडमरूमध्य (फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण जल मार्ग) को बंद करने का फैसला करता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
डोगरा ने कहा, ‘‘ईरान स्वाभाविक रूप से अपने पास उपलब्ध सभी विकल्पों पर विचार करेगा। होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना या उससे होकर गुजरने वाले जहाजों पर हमला करना, ऐसे विकल्प हैं जिनका ईरान इस्तेमाल कर सकता है।’’
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो स्वाभाविक रूप से खाड़ी देशों से जलडमरूमध्य के माध्यम से तेल का आयात करने वाले सभी देश प्रभावित होंगे और अंततः तेल की कीमतों में उछाल आएगा।
पूर्व राजनयिक ने कहा, ‘‘अगर तनाव कम होने की गुंजाइश बची भी थी तो अमेरिकी हमलों ने यह सुनिश्चित कर दिया कि हालात जल्दी सामान्य नहीं होंगे। लगभग एकमात्र महाशक्ति होने के नाते, यह अमेरिका की जिम्मेदारी थी कि उसे इस टकराव में शामिल नहीं होना चाहिए था।’’
एक अन्य पूर्व राजनयिक और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ दिलीप सिन्हा ने कहा, ‘‘युद्ध अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इजराइल ने हवाई हमलों में पहले ही ईरान पर बढ़त हासिल कर ली थी। अब अमेरिका भी इसमें शामिल हो रहा है और वह ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है।’’
सिन्हा ने कहा कि ईरान की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता अब ‘‘काफी कम हो गई है।’’
उन्होंने होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की आशंका और भारत तथा खाड़ी क्षेत्र से तेल आयात करने वाले अन्य देशों के लिए इसके आर्थिक तथा अन्य प्रभावों पर डोगरा के विचारों से सहमति जताई।
सिन्हा ने तर्क दिया कि यदि यह महत्वपूर्ण जल मार्ग बंद हो गया तो न केवल आपूर्ति प्रभावित होगी बल्कि तेल की कीमतें भी बढ़ जाएंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने का अंदेशा है। लेकिन मुझे ऐसा होता नहीं दिख रहा है, क्योंकि अभी तक ज्यादा देश इजराइल के समर्थन में सामने नहीं आए हैं।’’
पूर्व राजनयिक ने कहा कि यह संघर्ष निश्चित रूप से भारत के लिए चुनौती प्रस्तुत करता है, जिसके ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ऐतिहासिक, सभ्यतागत और भू-रणनीतिक कारणों से भी ईरान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है।
भाषा
शफीक