मैं ऐसी टीम संस्कृति बनाना चाहता हूं जहां हर कोई सुरक्षित और खुश रहे: गिल
सुधीर आनन्द
- 15 Jun 2025, 05:28 PM
- Updated: 05:28 PM
लंदन, 15 जून (भाषा) भारत के नए टेस्ट कप्तान शुभमन गिल ने कभी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व करने का सपना नहीं देखा था लेकिन उन्होंने स्वयं के लिए ऐसी टीम संस्कृति बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जहां हर खिलाड़ी ‘सुरक्षित और खुश’ रहे।
बदलाव के दौर से गुजर रहा भारत 2007 के बाद से इंग्लैंड में अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला जीतने के इरादे से उतरेगा। दोनों टीमों के बीच पांच मैच की टेस्ट श्रृंखला का पहला मैच 20 जून से लीड्स में खेला जाना है।
गिल ने ‘स्काईस्पोर्ट्स’ से कहा, ‘‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनना चाहता हूं इसलिए सभी ट्रॉफियों के बावजूद मैं ऐसी टीम संस्कृति बनाना चाहता हूं जहां हर कोई बहुत सुरक्षित और खुश रहे।’’
लेकिन गिल जानते हैं कि यह काम कहना जितना आसान है, करना उतना आसान नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता है कि यह बहुत मुश्किल हो सकता है, विशेषकर सभी प्रतिस्पर्धा और जितने मैच हम खेलते हैं उसे देखते हुए, अलग-अलग टीम होती हैं। लेकिन अगर मैं ऐसा कर पाया तो मुझे लगता है कि यह मेरा लक्ष्य होगा।’’
गिल ने कहा, ‘‘इसलिए एक सुरक्षित माहौल बनाए रखना और खिलाड़ी को उसकी क्षमताओं और योग्यताओं में सुरक्षित महसूस कराना मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है जो एक नेतृत्वकर्ता को करना चाहिए।’’
गिल ने माना कि सात मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वाले रोहित शर्मा ने उनके लिए एक स्पष्ट रास्ता तय किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लग सकता है कि वह आक्रामक नहीं है लेकिन रोहित अपनी रणनीति के मामले में बहुत आक्रामक हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जो मैचों से पहले, श्रृंखला के दौरान और श्रृंखला के बाद भी अपने संवाद में बहुत स्पष्ट रहते हैं कि वह खिलाड़ियों से क्या चाहते हैं।’’
गिल ने कहा कि वह अपने पूर्ववर्ती रोहित के रास्ते पर चलना चाहते हैं जिन्होंने हमेशा टीम को व्यक्तिगत खिलाड़ियों से आगे रखा।
उन्होंने कहा, ‘‘रोहित भाई ने जिस तरह का माहौल बनाए रखा, भले ही रोहित भाई आपको अपशब्द कह रहे हों, आप इसे अपने दिल पर नहीं लगाएंगे। यह उनका व्यक्तित्व है। मुझे लगता है कि यह एक बहुत अच्छी विशेषता है।’’
गिल ने कहा, ‘‘वह दृढ़ है लेकिन भले ही वह आप पर कठोर हो, आप जानते हैं कि यह उनके दिल से नहीं आ रहा है। यह टीम के नजरिए से आ रहा है।’’
पच्चीस वर्षीय गिल ने कहा कि उन्होंने रोहित के साथ टीम के भविष्य के बारे में बातचीत की।
उन्होंने कहा,‘‘यह एक ऐसी बातचीत है जो मैंने रोहित भाई के साथ कई बार की है कि आदर्श रूप से अगले पांच, सात या 10 या 15 वर्षों में हम भारतीय क्रिकेट टीम की संस्कृति को कहां देखना चाहेंगे?’’
गिल ने यह भी कहा कि उन्होंने विराट कोहली के नेतृत्व से बहुत कुछ सीखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं विराट के नेतृत्व में खेला तो मुझे लगता है कि टेस्ट मैचों में क्षेत्ररक्षण या विचारों या उनकी सोच के साथ उनकी सक्रियता कुछ ऐसी थी जो मुझे पसंद थी और मैंने उसे अपनाया। अगर उन्हें लगता है कि यह योजना काम नहीं कर रही है तो वह तुरंत एक और योजना बना लेते हैं, गेंदबाज को बताते हैं कि वह उनसे क्या चाहते हैं।’’
गिल ने नेतृत्व की भूमिका संभालने से पहले मुख्य कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर के साथ अपनी बातचीत का सार भी दिया।
भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘वे बस यही चाहते हैं कि मैं एक नेतृत्वकर्ता के रूप में खुद को अभिव्यक्त कर सकूं। उन्होंने मुझे यही बताया है, कोई अपेक्षाएं नहीं हैं। वे मेरे से कुछ ऐसा करने की उम्मीद नहीं कर रहे जो मैं करने में सक्षम नहीं हूं।’’
गिल ने कहा, ‘‘लेकिन एक नेतृत्वकर्ता और एक खिलाड़ी के रूप में आपको निश्चित रूप से खुद से कुछ अपेक्षाएं होती हैं। इसलिए मुझे स्वयं से वही अपेक्षाएं हैं।’’
गिल को आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के दिनों से ही गंभीर की कोचिंग शैली का अनुभव है और उन्हें राष्ट्रीय माहौल में उनके साथ सामंजस्य बिठाने का भरोसा है।
उन्होंने कहा, ‘‘गौतम भाई बहुत दृढ़ निश्चयी, बहुत प्रतिबद्ध हैं। और वह अपने संवाद में भी बहुत स्पष्ट हैं, वह खिलाड़ियों से क्या चाहते हैं और वह खिलाड़ियों में किस तरह की मानसिकता चाहते हैं।’’
गिल ने कहा, ‘‘गौतम भाई इस बात पर अधिक ध्यान देते हैं कि उन्हें टीम या खिलाड़ियों से किस तरह के रवैये या मानसिकता की आवश्यकता है।’’
गिल की संकट प्रबंधन क्षमता की परीक्षा तब होगी जब उन्हें प्रमुख तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के गेंदबाजी के बोझ पर निर्णय लेना होगा।
मुख्य चयनकर्ता अगरकर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस बात की बहुत कम संभावना है कि भारत को पूरी श्रृंखला में बुमराह की सेवाएं मिलेंगी।
गिल ने कहा, ‘‘यह मैच दर मैच पर आधारित है और यह देखना है कि उन पर काम का कितना बोझ है। हम इसी पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं। आपको यह देखने की जरूरत है कि इस विशेष मैच में उन पर कितना बोझ रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से तय मानसिकता नहीं रखना चाहते। क्योंकि ऐसे कई कारक हैं जो यह तय करने में आपके पक्ष में नहीं होंगे कि वह अगला मैच खेलेंगे या नहीं।’’
भाषा सुधीर आनन्द