पार्किंसन रोग, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का उपचार जोखिमपूर्ण व्यवहार से जुड़ा- आपको यह जानना आवश्यक है
देवेंद्र माधव
- 15 Mar 2025, 06:47 PM
- Updated: 06:47 PM
(दीपा कामदार, किंग्स्टन विश्वविद्यालय में फार्मेसी प्रैक्टिस में वरिष्ठ व्याख्याता)
लंदन, 15 मार्च (द कन्वरसेशन) सिरदर्द और बीमार महसूस होना कई दवाओं के सामान्य दुष्प्रभाव हैं। जोखिम भरे यौन व्यवहार या जुए में लिप्त होने संबंधी दुष्प्रभावों को इतना आम नहीं माना जाता है।
लेकिन बीबीसी की एक जांच ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि ‘रेस्टलेस लेग सिंड्रोम’ और पार्किंसन रोग के लिए कुछ दवा उपचार ऐसे जोखिम भरे व्यवहार को जन्म दे सकते हैं।
पार्किंसन रोग, मस्तिष्क के कुछ हिस्सों की खराबी लाने वाली एक बीमारी है। यह एक तंत्रिका संबंधी परेशाी है।
‘रेस्टलेस लेग सिंड्रोम’ (आरएलएस) एक तंत्रिका तंत्र की समस्या है जिसके कारण आपको उठने और चलने या टहलने की तीव्र इच्छा होती है।
ब्रिटेन में 1,50,000 से अधिक लोग पार्किंसन रोग से पीड़ित हैं - यह एक ऐसी बीमारी है जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है।
आरएलएस जो ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप में पांच से 10 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है। पैंतीस वर्ष से अधिक आयु के लोगों में आरएलएस से पीड़ित पुरुषों की तुलना में दोगुनी संख्या में महिलाएं हैं।
आरएलएस से पीड़ित लोगों को लगता है कि उन्हें अपने पैरों को अनियंत्रित रूप से हिलाना पड़ता है और उन्हें पैरों में झुनझुनी महसूस हो सकती है।
आमतौर पर, लक्षण रात में बदतर हो जाते हैं जब डोपामाइन का स्तर कम होता है।
‘डोपामाइन’ को ‘‘खुशी’’ हार्मोन के रूप में जाना जाता है। जब लोग कुछ आनंददायक काम करते हैं, तो उनके मस्तिष्क में डोपामाइन का प्रवाह होता है।
हालांकि सामान्य दुष्प्रभावों में सिरदर्द, बीमार महसूस होना और नींद आना शामिल हैं।
इन दुष्प्रभावों में जोखिमपूर्ण यौन व्यवहार (हाइपरसेक्सुअलिटी), जुआ विकार, बाध्यकारी खरीदारी और अत्यधिक भोजन करना शामिल है।
जुआ विकार एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति जुआ खेलने पर नियंत्रण खो देता है।
एक मामले में 32 वर्षीय एक व्यक्ति ने रोपिनिरोल लेने के बाद अत्यधिक भोजन करना और जुआ खेलना शुरू कर दिया, जिससे उसकी जीवन भर की बचत चली गई।
रोपिनिरोल एक दवा है जिसका उपयोग पार्किंसन रोग और ‘रेस्टलेस लेग सिंड्रोम’ के इलाज के लिए किया जाता है।
जब 2000 के दशक की शुरुआत में इस दवा को पहली बार निर्धारित किया गया था, तो यह सोचा गया था कि आवेग-नियंत्रण विकार इन दवाओं से जुड़ा एक दुर्लभ दुष्प्रभाव था।
डोपामाइन एगोनिस्ट दवा लेने वाले आरएलएस से पीड़ित छह प्रतिशत से 17 प्रतिशत लोगों में किसी न किसी प्रकार का आवेग-नियंत्रण विकार विकसित हो जाता है, जबकि पार्किंसन से पीड़ित 20 प्रतिशत लोगों में आवेग नियंत्रण विकार का अनुभव हो सकता है।
लेकिन वास्तविक आंकड़े इससे भी अधिक हो सकते हैं, क्योंकि कई मरीज अपने व्यवहार में आए बदलाव को अपनी दवा से नहीं जोड़ पाते, या फिर इसकी रिपोर्ट करने में असहज स्थिति महसूस करते हैं।
मामले की रिपोर्ट से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में, दवा बंद करने पर आवेगपूर्ण व्यवहार बंद हो जाता है।
इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले मरीजों ने दावा किया कि उन्हें इन आवेगपूर्ण व्यवहार के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी नहीं थी।
डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने वाली कोई भी दवा सैद्धांतिक रूप से आवेग नियंत्रण विकारों से जुड़ी हो सकती है और ऐसे मामलों में रोगियों और उनके व्यवहार की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
हर किसी को दुष्प्रभावों का अनुभव नहीं होगा। किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले, आपके चिकित्सक को संभावित दुष्प्रभावों के बारे में बताना चाहिए लेकिन किसी भी दवा के साथ सूचना पत्रक को पढ़ना भी महत्वपूर्ण है। और यदि आप इन दवाओं के सेवन के बाद किसी भी तरह के आवेगपूर्ण व्यवहार का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अपने चिकित्सक बात करें।
(द कन्वरसेशन)
देवेंद्र