उत्तराखंड में अब तक 168 स्टार्टअप को मान्यता दी गयी-राज्यपाल
दीप्ति नोमान
- 18 Feb 2025, 06:05 PM
- Updated: 06:05 PM
देहरादून, 18 फरवरी (भाषा) उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने मंगलवार को कहा कि राज्य की स्टार्टअप नीति के तहत 168 स्टार्टअप तथा 15 ‘इनक्यूबेटर’ (पालना केंद्र) को मान्यता दी गयी है जबकि देहरादून में 73 हजार वर्ग फुट का ‘इनक्यूबेशन’ क्षेत्र विकसित किया जा रहा है ।
राज्य विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अपना अभिभाषण देते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में हुए वैश्विक निवेशक सम्मेलन में निवेश प्रस्ताव के आधार पर पर्यटन, ऊर्जा, विनिर्माण और आधारभूत संरचना जैसे सभी क्षेत्रों में मिले निवेश प्रस्तावों को वास्तविक रूप देने को लेकर तेजी से काम हो रहा है।
उन्होंने कहा, “राज्य की स्टार्टअप नीति के अंतर्गत 168 स्टार्टअप तथा 15 ‘इनक्यूबेटर’ को मान्यता प्रदान की गयी है । भारत सरकार द्वारा राज्य के 1196 स्टार्टअप को पंजीकृत किया गया है । वर्तमान में उत्तराखंड स्टार्टअप रैंकिंग में लीडर श्रेणी में सम्मिलित है।”
राज्यपाल ने कहा कि स्टार्टअप को ‘इनक्यूबेशन’ सुविधा उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से ‘यू हब’ नाम से देहरादून में आईटी पार्क में ‘इनक्यूबेटर’ की स्थापना की जा रही है जिससे राज्य में 73 हजार वर्ग फुट का ‘इनक्यूबेशन’ क्षेत्र उपलब्ध होगा ।
उन्होंने कहा कि उधमसिंह नगर जिले के खुरपिया फार्म में 1002 एकड़ भूमि पर भारत सरकार की अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारा परियोजना के अंतर्गत एकीकृत विनिर्माण कलस्टर स्वीकृत किया गया है ।
सिंह ने कहा कि सूक्ष्म एवं लघु स्तर के उद्यमियों को ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल पर उद्यम स्थापना के लिए स्थान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हरिद्वार में फलैटिड फैक्ट्री की स्थापना की जा रही है।
राज्यपाल ने हाल में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करने वाला उत्तराखंड पहला प्रदेश बन गया है।
उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की कड़ी में प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार ने पिछले एक साल में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिनमें राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन, वैश्विक निवेशक सम्मेलन में मिले प्रस्तावों को धरातल पर उतारना, अंतरराष्ट्रीय प्रवासी सम्मेलन का आयोजन तथा विश्व आयुर्वेद सम्मेलन आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
भाषा दीप्ति