माधबी बुच को तलब करने पर फैसला करेगी पीएसी: समिति के अध्यक्ष वेणुगोपाल
वैभव अविनाश
- 06 Sep 2024, 08:33 PM
- Updated: 08:33 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा कि इस बारे में समिति को निर्णय लेना है कि हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रहीं सेबी अध्यक्ष माधबी बुच को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा जाए या नहीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद और समिति के सदस्य निशिकांत दुबे माधबी बुच से समिति की संभावित पूछताछ पर सवाल खड़े करते हुए नजर आए। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पीएसी ‘‘आधिकारिक निकायों द्वारा तैयार तथ्यात्मक रिपोर्ट’’ के आधार पर ही छानबीन के लिए किसी विषय को ले सकती है।
इस तरह की खबरें हैं कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों को लेकर उन्हें पीएसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा जा सकता है।
इन खबरों के बीच इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से बातचीत में केवल इस बात को रेखांकित किया कि पीएसी ने संसद के अधिनियमों द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा करने का फैसला किया है।
वेणुगोपाल ने कहा कि समिति ने अपने सदस्यों के सुझावों पर सेबी और ट्राई जैसे नियामकों के कामकाज की समीक्षा करने का फैसला किया है।
सेबी अध्यक्ष को पीएसी के समक्ष तलब किए जाने की संभावना के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘बाकी चीजों पर समिति को फैसला करना है।’’
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘सदस्यों ने जो सुझाव दिए, हमने उन्हें (एजेंडे में) शामिल कर लिया है।’’
भाजपा सांसद दुबे ने कहा कि एक निजी कंपनी की रिपोर्ट को पीएसी द्वारा किसी मुद्दे की जांच का आधार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘पीएसी केवल तथ्यात्मक रिपोर्ट में उल्लेखित मामलों को ही ले सकती है जिन्हें किसी आधिकारिक निकाय ने तैयार किया हो।’’
पीएसी के दो अन्य सदस्यों ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा कि समिति सेबी के कामकाज की समीक्षा कभी भी कर सकती है और इसका मतलब यह नहीं है कि बुच के खिलाफ आरोपों को भी एजेंडे में लिया जाएगा।
समिति द्वारा स्वत: चुने गए विषयों में संसद के अधिनियमों द्वारा स्थापित विनियामक निकायों के प्रदर्शन की समीक्षा, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में सुधार, केन्द्र प्रायोजित कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा, ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन के लिए चल रहे नीतिगत उपाय और सार्वजनिक अवसंरचना एवं अन्य सार्वजनिक उपयोगिताओं पर शुल्क, टैरिफ, विनियमन आदि शामिल हैं।
लोक लेखा समिति ने अपने कार्यकाल के दौरान समिति के समक्ष पिछले वर्ष से लंबित मामलों के अतिरिक्त 161 विषयों का चयन किया है।
बुच, अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के दावों की सेबी की जांच को लेकर हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं।
कांग्रेस ने बुच के सेबी का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद उनके पूर्व नियोक्ता आईसीआईसीआई बैंक द्वारा किए गए भुगतान पर सवाल उठाया है और मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
बुच ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
पीएसी की अगली बैठक 10 सितंबर को होगी जब जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के आधार पर ‘राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (जल जीवन मिशन) पर प्रदर्शन लेखा परीक्षा’ पर समिति को जानकारी देंगे।
पीएसी हवाई अड्डों जैसे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर लगाए गए ‘शुल्क, टैरिफ (आयातित या निर्यातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला शुल्क), उपयोगकर्ता शुल्क इत्यादि’ का भी ऑडिट करेगी। वर्तमान में, सात भारतीय हवाई अड्डों का प्रबंधन अदाणी समूह द्वारा किया जाता है।
पीएसी सरकार के राजस्व और व्यय के ऑडिट के लिए जिम्मेदार है।
अन्य विषयों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा भारत-चीन सीमा के साथ सीमा सड़कों के निर्माण पर प्रदर्शन लेखा परीक्षा की समीक्षा, रेलवे द्वारा यात्रियों और अन्य सेवाओं की ‘क्रॉस-सब्सिडी’ की समीक्षा, स्मारकों और पुरावशेषों के संरक्षण और संरक्षण का प्रदर्शन ऑडिट और धर्मार्थ ट्रस्टों और संस्थानों को छूट पर प्रदर्शन लेखा परीक्षा शामिल हैं।
भाषा वैभव