कर्म-पुनर्जन्म पर प्रेरक वक्ता की टिप्पणी को लेकर विवाद, मंत्री ने कार्रवाई करने का अश्वासन दिया
शफीक संतोष
- 06 Sep 2024, 07:47 PM
- Updated: 07:47 PM
चेन्नई, छह सितंबर (भाषा) तमिलनाडु में एक प्रेरक एवं आध्यात्मिक वक्ता ने शिक्षक दिवस पर कर्म और पुनर्जन्म पर अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया और कथित तौर पर बच्चों को जीवन में उनके संघर्ष के लिए जिम्मेदार ठहराया।
विवाद बढ़ने पर राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने आश्वासन दिया कि यहां एक सरकारी स्कूल में दिए गए विवादास्पद भाषण के लिए वक्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डीवाईएफआई और एसएफआई के सदस्यों ने यहां विरोध-प्रदर्शन किया और स्कूल शिक्षा विभाग से सैदापेट और अशोक नगर में सरकारी स्कूलों में ‘आध्यात्मिक जागृति’ कक्षाएं आयोजित करने की अनुमति देने पर सवाल उठाया।
प्रदर्शनकारियों ने वक्ता महाविष्णु के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जो एक गैर सरकारी संगठन ‘परमपोरुल फाउंडेशन’ चलाते हैं।
महाविष्णु को भाषण देने के लिए आमंत्रित करने वाले दो सरकारी स्कूलों को भी आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके स्कूल परिसर में बच्चों पर दोष मढ़ा गया और एक दिव्यांग शिक्षक से बदसलूकी की गई, जिसने वक्ता की धार्मिक टिप्पणियों के लिए उनसे बहस की थी।
महाविष्णु ने अपने भाषण में गुरुकुलों को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने के लिए अंग्रेजों को दोषी ठहराया और दावा किया था कि कुछ मंत्रों के जाप से कोई व्यक्ति अग्नि वर्षा करा सकता है, बीमारियां ठीक कर सकता है और यहां तक कि उड़ सकता है।
वायरल हुए एक वीडियो में उन्हें यह कहते सुना जा सकता है, ‘‘ये सभी चीजें हमारे पूर्वजों द्वारा धर्मग्रंथों में लिखी गई थीं, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें मिटा दिया।’’
उन्होंने कहा था, ‘‘यदि ईश्वर दयालु होता, तो सभी लोग जन्म से ही समान होने चाहिए थे। कोई अमीर या गरीब, अपराधी या नायक पैदा होता है। ऐसा भेद क्यों? आपको यह जीवन आपके पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर मिला है।’’
महाविष्णु की टिप्पणियों पर एक शिक्षक ने आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें स्कूल परिसर में आध्यात्मिक प्रवचन के लिए नहीं बल्कि एक प्रेरक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस पर महाविष्णु की शिक्षक के साथ तीखी बहस हुई।
विवाद के बीच, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि वह पिछले तीन वर्षों से कई कार्यक्रमों में शिक्षा के महत्व और वैज्ञानिक सोच विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘विज्ञान प्रगति का मार्ग है।’’
भाषा
शफीक