महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए बंगाल में कुछ ही ‘फास्ट ट्रैक’ विशेष अदालतें: मेघवाल
वैभव नरेश
- 06 Sep 2024, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय के लिए पश्चिम बंगाल के केवल पांच से छह जिलों में ‘फास्ट ट्रैक’ विशेष अदालतें संचालित होने के लिए शुक्रवार को राज्य सरकार से सवाल किया।
मेघवाल ने कहा कि राज्य ने पिछले दिनों ही और भी जिलों में ऐसी अदालतें स्थापित करने के लिए नये सिरे से प्रस्ताव भेजे हैं।
यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मेघवाल ने कहा कि कोलकाता में एक महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना शर्मनाक है।
उन्होंने कहा, ‘‘मामला उच्चतम न्यायालय में आया। तब (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी ने फास्ट ट्रैक अदालतों की जरूरत के बारे में पत्र लिखा। यह योजना (फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की) अभी प्रभाव में है।’’
मेघवाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पांच-छह जिलों के अलावा विशेष अदालतें नहीं खोली गईं।
उन्होंने कहा, ‘‘अब कुछ जिलों के लिए उनके प्रस्ताव मिले हैं। बंगाल की जनता, देशभर के लोग इस घटना से आक्रोशित हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में है। मामला उच्चतम न्यायालय में है।’’
मेघवाल ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा बनर्जी को हाल में लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामलों से निपटने के लिए अतिरिक्त 11 फास्ट ट्रैक विशेष अदालत (एफटीएससी) का संचालन शुरू नहीं किया है।
देवी ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने 88 फास्ट ट्रैक अदालत(एफटीसी) स्थापित की हैं, जो केंद्र सरकार की योजना के तहत आने वाली फास्ट ट्रैक विशेष अदालत (एफटीएससी) के समान नहीं हैं।
बनर्जी ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो बार पत्र लिखा है। अपने नवीनतम पत्र में, उन्होंने बलात्कार/बलात्कार और हत्या के मामलों के समयबद्ध निपटान के लिए अनिवार्य प्रावधान की मांग की।
अन्नपूर्णा देवी ने प्रधानमंत्री को लिखे बनर्जी के पत्र के बाद उनसे कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में बलात्कार और पॉक्सो के 48,600 मामले लंबित होने के बावजूद, राज्य ने 11 अतिरिक्त एफटीएससी का संचालन शुरू नहीं किया है, जो राज्य की आवश्यकता के अनुसार विशेष पॉक्सो अदालतें या बलात्कार और पॉक्सो दोनों मामलों से निपटने वाली संयुक्त एफटीएससी हो सकती हैं।’’
भाषा वैभव