मंत्री के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर त्रिपुरा विधानसभा में हुआ शोरशराबा
राजकुमार माधव
- 04 Sep 2024, 06:57 PM
- Updated: 06:57 PM
अगरतला, चार सितंबर (भाषा) फेसबुक पर एक विवादास्पद पोस्ट पर त्रिपुरा के मंत्री सुधांग्शु दास के बयान के खिलाफ बुधवार को विपक्षी कांग्रेस के प्रदर्शन करने पर विधानसभा में शोरशराबा हुआ है।
जब दास ने कांग्रेस को ‘हिंदू-विरोधी’ बताया तब पार्टी विधायकों ने आसन के समीप प्रदर्शन किया और बाद में वे सदन से बहिर्गमन करगये।
एक सितंबर को दास ने एक पोस्ट में लिखा था, ‘‘मेरे विचार में, हिंदुओं को देवी-देवताओं की पूजा करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि जो लोग अपने मंदिरों और देवताओं की रक्षा नहीं कर सकते, वे प्रार्थना या पूजा आयोजित करने के लायक नहीं हैं।’’
वैसे बाद में उन्होंने यह पोस्ट हटा लिया था।
वैसे तो उन्होंने इस बयान के सिलसिले में कोई संदर्भ नहीं दिया था लेकिन यह पोस्ट पश्चिम त्रिपुरा जिले के दुर्गानगर में एक मंदिर में देवी काली की मूर्ति को विरूपित पाये जाने के बाद किया गया था।
विरूपण की इस घटना के बाद 25 अगस्त की रात में अज्ञात बदमाशों ने कई मकानों में आग लगा दी थी।
बुधवार को प्रश्नकाल के तुरंत बाद कांग्रेस विधायक बिराजीत सिन्हा ने सदन में यह मुद्दा उठाया और दास से बयान देने की मांग की।
पार्टी विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने इस पोस्ट की निंदा करते हुए कहा, ‘‘ संविधान की शपथ लेकर शपथ लेने वाले मंत्री सोशल मीडिया पर ऐसा पोस्ट नहीं कर सकते। भारत संविधान से चलता है। मैं उनसे इसके लिए माफ़ी मांगने की अपील करता हूं।’’
विपक्ष के निशाने पर आये दास का बचाव करते हुए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुशांत चौधरी ने कहा कि लोग फेसबुक पर यह पोस्ट देख चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चाताप के बाद उन्होंने (सुधांग्शु) पोस्ट वापस हटा दिया। सदन के सदस्यों को पोस्ट करने वाले मंत्री की भावनाओं को समझना चाहिए।’’
उन्होंने कन्हैया कुमार का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘ त्रिपुरा में ऐसी कोई घटना नहीं है जहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ हो। सरकार 'सबका साथ सबका विकास' के लिए काम कर रही है। लेकिन कांग्रेस ने ही नयी दिल्ली सीट से 'टुकड़े टुकड़े' गैंग के सदस्य को उम्मीदवार बनाया।’’
इस मुद्दे पर बहस के दौरान दास ने कहा कि 1971 की लड़ाई के दौरान हजारों हिंदू विस्थापित हो गये।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर से छह लाख कश्मीरी पंडितों को बाहर निकाल दिया गया और इस कदम के पीछे जो व्यक्ति था उसे पूर्व प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया था।’’
उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तीखा विरोध किया।
विरोध में तीन कांग्रेस विधायक दस मिनट के लिए सदन से चले गये। वैसे माकपा विधायक भी मंत्री के बयान का विरोध कर रहे थे लेकिन वे सदन में ही बने रहे।
लेकिन जब मंत्री ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर अपना हमला जारी रखा और उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया तब विपक्षी सदस्य आसन के समीप आ गये और नारेबाजी करने लगे।
भाषा राजकुमार