भारतीयों को म्यांमा में साइबर अपराध गिरोह में काम करने के लिए भेजा, सीबीआई ने मामला दर्ज किया
अमित माधव
- 03 Sep 2024, 09:09 PM
- Updated: 09:09 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने चंडीगढ़ के एक गिरोह के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है जिस पर आरोप है कि उसने भारतीयों को थाईलैंड में आकर्षक नौकरी दिलाने के नाम पर म्यांमा में साइबर अपराध के धंधे में काम करने के लिए भेजा। यह जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी।
संघीय एजेंसी ने गिरोह की कथित मास्टरमाइंड चंडीगढ़ निवासी रिया सोनकर और अजय को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 370(3) के तहत दर्ज प्राथमिकी में नामजद किया है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने सोनकर के परिसरों पर छापेमारी अभियान भी चलाया, जिसमें पूरे "घोटाले" से संबंधित डिजिटल जानकारी और लेन-देन के विवरण का पता चला।
गिरोह के काम करने के तरीके के अनुसार, सोनकर ने लोगों को कथित तौर पर थाईलैंड, लाओस और कंबोडिया में ग्राहक-सहायता अधिकारियों और डेटा-एंट्री ऑपरेटर की नौकरी का वादा किया, लेकिन उन्हें म्यांमा के म्यावाडी में मानव तस्करों के एक नेटवर्क में भेज दिया, जो चीनी और भारतीयों द्वारा चलाए जाने वाले साइबर-अपराध सिंडिकेट के लिए बदनाम है। वहां फंसे हुए लोगों को इंटरनेट पर विदेशी नागरिकों को धोखा देने के लिए मजबूर किया जाता है।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, "अगर ये पीड़ित साइबर अपराध पर काम करने से इनकार करते, तो उन्हें शारीरिक यातना, बिजली का झटका आदि जैसी गंभीर सजा दी जाती है। कई व्यक्ति अभी तक म्यांमा क्षेत्र के म्यावाडी में फंसे हुए हैं।"
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, सोनकर के काम का खुलासा तब हुआ जब उसने लोगों को 1,000 अमेरिकी डॉलर के वेतन और अन्य प्रोत्साहनों के लिए चीनी कंपनी के लिए ग्राहक-सहायता अधिकारियों के रूप में नौकरी देने का वादा करके म्यांमा भेजने का प्रयास किया। इसके बजाय, उसने उन्हें म्यांमा में यांगून के लिए व्यावसायिक वीजा और टिकट भेजे। जब पीड़ितों ने उससे पूछा, तो वह योजनाओं में बदलाव के लिए मामूली कारण बताकर उन्हें समझाने में सफल रही।
प्राथमिकी के अनुसार, पीड़ितों की मुलाकात उड़ान में एक भारतीय यात्री से हुई, जिसने उन्हें म्यावाडी में सक्रिय संदिग्ध मानव तस्करों द्वारा बिछाए गए जाल के बारे में सचेत किया और म्यांमा पहुंचने पर भारतीय दूतावास से संपर्क करने के लिए कहा। जब पीड़ित यांगून पहुंचे, तो उन्हें कुछ संदिग्ध दिखने वाले व्यक्ति मिले, जो कंपनी की ओर से उन्हें लेने आए थे।
प्राथमिकी के अनुसार, उड़ान में सह-यात्री द्वारा पहले से ही सतर्क किए जाने के बाद, पीड़ितों को संदेह हुआ कि उनकी नौकरी की पेशकश फर्जी थी और वे फंस रहे हैं। उन्होंने जाल में फंसने से इनकार कर दिया और भारतीय दूतावास से संपर्क किया, जिसने उन्हें आगे बढ़ने से भी आगाह किया।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, "भारतीय दूतावास ने उन्हें उनके खर्च पर 6 मार्च, 2024 को वापस भारत भेज दिया। यह भी पता चला है कि रिया सोनकर का आने वाले दिनों में 20 भारतीय नागरिकों की भर्ती करने का लक्ष्य है।"
भाषा अमित