संगम विहार में कचरे की समस्या: एनजीटी ने डीडीए, दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया
नेत्रपाल पवनेश
- 03 Sep 2024, 08:51 PM
- Updated: 08:51 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यहां संगम विहार में ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली सरकार सहित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
हरित निकाय क्षेत्र में सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की खराब स्थिति के संबंध में एक मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें निवासियों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा होने की बात कही गई है।
हाल के एक आदेश में, एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि अधिकरण के पहले के आदेश के अनुसार, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने एक रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 40 मीट्रिक टन (एमटीडी) ठोस कचरा उत्पन्न होता है और जगह की कमी के कारण क्षेत्र में कोई ढलाव, ‘फिक्स्ड कॉम्पेक्टर ट्रांसफर स्टेशन’ (एफसीटीएस) मशीन या द्वितीयक संग्रह बिंदु नहीं हैं।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी शामिल थे।
इसने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र में संकरी गलियों के कारण निजी कचरा बीनने वालों या कचरा बीनने वालों द्वारा साइकिल रिक्शा के माध्यम से कचरा एकत्र किया जाता है।
रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह एक तरह से इस आरोप का समर्थन करता है कि संगम विहार के संबंधित वार्डों में कचरा बिखरा रहता है क्योंकि निवासियों के पास कूड़ा फेंकने के लिए कोई निर्दिष्ट स्थान नहीं है।’’
इसने कहा कि एमसीडी के वकील की दलीलों के अनुसार, डीडीए से संबंधित वार्डों में एफसीटीएस मशीन स्थापित करने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था, जिसका कोई जवाब नहीं आया।
अधिकरण ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने आठ अगस्त को किए गए एक निरीक्षण के आधार पर एक रिपोर्ट दायर की थी, जिसके अनुसार कुछ स्थानों पर सीवर सड़क पर बह रहा था, कई सड़कें क्षतिग्रस्त मिली थीं और कई स्थानों पर नालियां गलियों में बह रही थीं क्योंकि वे ठोस अपशिष्ट से भरी थीं।
इसने कहा, ‘‘जहां तक सीवेज के अनुचित प्रबंधन का मुद्दा है, एमसीडी का रुख यह है कि जिम्मेदारी डीजेबी की है।’’
अधिकरण ने दक्षिणी दिल्ली के जिलाधिकारी के वकील की दलीलों पर भी गौर किया, जिन्होंने कहा था कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी एमसीडी और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की है।
इसके बाद इसने डीडीए के उपाध्यक्ष, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी और शहर सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता सहित कई अधिकारियों को पक्ष या प्रतिवादी के रूप में शामिल किया।
हरित अधिकरण ने कहा कि न्यायाधिकरण के समक्ष हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल करने के लिए नए जोड़े गए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए।
मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
भाषा नेत्रपाल