कोयला घोटाला: अदालत ने मधु कोड़ा की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
अमित नरेश
- 03 Sep 2024, 05:27 PM
- Updated: 05:27 PM
नयी दिल्ली, तीन सितम्बर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की उस याचिका पर अपना आदेश मंगलवार को सुरक्षित रख लिया जिसमें उन्होंने कोयला घोटाला मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया है ताकि वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकें।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि कोड़ा और मामले की जांच करने वाले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से लिखित दलीलें पहले ही दाखिल की जा चुकी हैं। सीबीआई ने याचिका का विरोध किया।
कोड़ा ने अदालत से 2024 का झारखंड राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 13 दिसंबर, 2017 के दोषसिद्धि आदेश को निलंबित करने का आग्रह किया।
सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा और वकील तरन्नुम चीमा ने कहा कि कोड़ा द्वारा दायर इसी तरह की याचिका मई 2020 में खारिज कर दी गई थी और उसी राहत का अनुरोध करने वाली उनकी नयी याचिका विचार करने योग्य नहीं है।
सीबीआई ने कहा, "इस अदालत ने (पहले) राजनीति को अपराधमुक्त किये जाने के लिए कदम उठाने की बढ़ती मांग पर गौर किया। इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत ने याचिका खारिज कर दी। उक्त फैसले को चुनौती देने वाली कोई अपील दायर नहीं की गई थी।’’
इससे पहले मई 2020 में, उच्च न्यायालय ने कोड़ा की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि जब तक उन्हें अंतिम रूप से बरी नहीं कर दिया जाता, तब तक उन्हें किसी भी सार्वजनिक पद के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति देना उचित नहीं होगा।
इसने कहा था कि व्यापक राय यह है कि जिन पर अपराध के आरोप हैं, उन्हें सार्वजनिक पदों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा था कि इसलिए, कोड़ा की सजा पर रोक लगाना और उन्हें उस अयोग्यता से उबरने की अनुमति देना उचित नहीं होगा
कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु और कोड़ा के करीबी सहयोगी विजय जोशी को भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने और झारखंड में राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक को कोलकाता की कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को आवंटित करने में आपराधिक साजिश रचने के आरोप में निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी।
अदालत ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) काल के कोयला घोटाले में वीआईएसयूएल, कोड़ा और गुप्ता पर क्रमशः 50 लाख रुपये, 25 लाख रुपये और एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। बसु पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने और कम से कम दो साल जेल की सजा सुनाए गए व्यक्ति को तुरंत सांसद, विधायक या राज्य विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। जेल से रिहा होने के बाद भी व्यक्ति छह साल तक अयोग्य रहता है।
अपील के लंबित रहने के दौरान उन्हें जमानत दे दी गई थी। उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, धारा 420 और धारा 409 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया गया।
सीबीआई ने कहा था कि कंपनी ने आठ जनवरी, 2007 को राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था। इसने कहा था कि हालांकि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए वीआईएसयूएल के मामले की सिफारिश नहीं की थी, लेकिन 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने इसे आरोपी कंपनी को आवंटित कर दिया।
सीबीआई ने कहा था कि स्क्रीनिंग कमेटी का नेतृत्व करने वाले गुप्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यह तथ्य छुपाया था कि झारखंड ने कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए वीआईएसयूएल की सिफारिश नहीं की थी। मनमोहन सिंह के पास कोयला विभाग भी था।
भाषा
अमित