संभव है कि एआई बहुत सारी नौकरियां ना छीने, पर यह कामगारों को बनाएगा और कुशल
एपी आशीष अविनाश
- 02 Sep 2024, 05:14 PM
- Updated: 05:14 PM
वाशिंगटन, दो सितंबर (एपी) एक ऐसे ग्राहक-सेवा केंद्र की कल्पना करें जो आपकी भाषा बोलता हो, चाहे वह कोई भी भाषा हो।
दुनिया भर में ग्राहक-सेवा केंद्र चलाने वाली, कैलिफोर्निया के इरविन की एक कंपनी एलोरिका ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अनुवाद ‘टूल’ पेश किया है जो उसके प्रतिनिधियों को 200 अलग-अलग भाषाएं और 75 बोलियां बोलने वाले ग्राहकों से बात करने की सुविधा देता है।
इसलिए, एलोरिका का कोई प्रतिनिधि जो, मान लीजिए, केवल स्पेनिश बोलता है, हांगकांग में कैंटोनीज भाषा बोलने वाले किसी व्यक्ति से खराब प्रिंटर या गलत बैंक स्टेटमेंट के बारे में शिकायत दर्ज कर सकता है। एलोरिका को कैंटोनीज बोलने वाले प्रतिनिधि को नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।
एआई की ताकत ऐसी ही है। और, संभावित रूप से, खतरा: शायद कंपनियों को इतने कर्मचारियों की जरूरत नहीं होगी और कुछ नौकरियों में कटौती होगी, अगर ‘चैटबॉट’ काम का बोझ संभाल सकें। लेकिन बात यह है कि एलोरिका नौकरियों में कटौती नहीं कर रही है। यह अभी भी बढ़ चढ़कर भर्ती कर रही है।
एलोरिका और फर्नीचर रिटेलर आइकिया सहित अन्य कंपनियों के अनुभव से पता चलता है कि एआई शायद नौकरी खत्म करने वाला साबित न हो, जिससे कई लोग डरते हैं। इसके बजाय, यह तकनीक अतीत की सफलताओं की तरह हो सकती है जैसे भाप इंजन, बिजली, इंटरनेट।
यानी कुछ नौकरियां खत्म होगीं और कुछ नौकरियां पैदा होंगी। और संभवतः कामगार अधिक उत्पादक बनेंगे, जिससे अंततः उन्हें, उनके नियोक्ताओं और अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
‘इनडीड हायरिंग लैब’ के अर्थशास्त्री निक बंकर ने कहा कि उन्हें लगता है कि एआई ‘‘बहुत सारी नौकरियों को प्रभावित करेगा-शायद हर नौकरी को कुछ हद तक अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी। हमने अपने इतिहास में अन्य बड़ी तकनीकी घटनाएं देखी हैं, और उनसे बेरोजगारी में बड़ी वृद्धि नहीं हुई। प्रौद्योगिकी विनाश करती है लेकिन सृजन भी करती है। नयी नौकरियां पैदा होंगी।’’
एआई मशीनों को ऐसे कार्य करने में सक्षम बनाती है जिन्हें पहले मानवीय बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती थी। यह तकनीक दशकों से शुरुआती संस्करणों में मौजूद है, जो 1950 के दशक में अब कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में बनाए गए समस्या-समाधान कंप्यूटर प्रोग्राम, लॉजिक थियोरिस्ट के साथ उभरी थी।
हाल में, सिरी और एलेक्सा जैसे वॉयस असिस्टेंट के बारे में सोचें। आईबीएम के शतरंज खेलने वाले कंप्यूटर, डीप ब्लू ने 1997 में विश्व चैंपियन गैरी कास्पारोव को हराने में कामयाबी हासिल की।
वर्ष 2022 में जब ओपनएआई ने ‘चैटजीपीटी’ पेश किया, तब एआई वास्तव में लोगों की चेतना में आया। यह एक ऐसा ‘जनरेटिव एआई टूल’ है जो बातचीत कर सकता है, कंप्यूटर कोड लिख सकता है, संगीत बना सकता है, निबंध लिख सकता है और अंतहीन सूचनाएं प्रदान कर सकता है। ‘जनरेटिव’ एआई के आगमन ने इस बात की चिंता बढ़ा दी है कि ‘चैटबॉट’ फ्रीलांस लेखकों, संपादकों, कोडर, टेलीमार्केटर्स, ग्राहक-सेवा प्रतिनिधियों जैसे कई अन्य पेशेवरों की जगह ले लेंगे।
‘ओपनएआई’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सैम ऑल्टमैन ने मई में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में एक चर्चा में कहा, ‘‘एआई बहुत सारी मौजूदा नौकरियों को खत्म करने जा रहा है और यह बहुत सारे मौजूदा कार्य के तरीके को बदलने जा रहा है।’’
फिर भी यह व्यापक धारणा कि एआई चैटबॉट अनिवार्य रूप से सेवा कर्मियों की जगह ले लेंगे, जिस तरह से भौतिक रोबोट ने कई कारखाने और गोदाम की नौकरियों में जगह बना ली, कम से कम अभी तक किसी भी व्यापक तरीके से वास्तविकता नहीं बन रही है। शायद यह कभी होगा भी नहीं।
‘व्हाइट हाउस काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स’ ने पिछले महीने कहा था कि उसे ‘‘इस बात के बहुत कम प्रमाण मिले हैं कि एआई समग्र रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।’’
सलाहकारों ने कहा कि इतिहास से पता चलता है कि प्रौद्योगिकी आम तौर पर कंपनियों को अधिक उत्पादक बनाती है, आर्थिक विकास को गति देती है और अप्रत्याशित तरीकों से नए प्रकार की नौकरियां पैदा करती है।
उन्होंने इस वर्ष एमआईटी के एक प्रमुख अर्थशास्त्री डेविड ऑटोर द्वारा किए गए एक अध्ययन का हवाला दिया। इसमें निष्कर्ष निकाला गया कि 2018 में अमेरिकियों के पास मौजूद 60 प्रतिशत नौकरियां 1940 में मौजूद भी नहीं थीं, बल्कि बाद में उभरी प्रौद्योगिकियों द्वारा सृजित की गई थीं।
नौकरी में कटौती पर नजर रखने वाली कंपनी चैलेंजर, ग्रे एंड क्रिसमस ने कहा कि उसे अभी तक छंटनी के ऐसे अधिक प्रमाण नहीं मिले हैं, जिन्हें श्रम-बचत करने वाली एआई के कारण माना जा सके।
फर्म की विपणन टीम का नेतृत्व करने वाले एंडी चैलेंजर ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बहुत सारी कंपनियां ऐसा कह रही हैं कि उन्होंने ढेर सारा पैसा बचाया है या इस वजह से उन नौकरियों में कटौती की है जिनकी उन्हें अब जरूरत नहीं है। भविष्य में ऐसा हो सकता है। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।’’
साथ ही, यह डर कि एआई कुछ श्रेणियों की नौकरियों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है, निराधार नहीं है। भारतीय उद्यमी सुमित शाह ने पिछले साल यह दावा करके हंगामा मचा दिया था कि उन्होंने अपने 90 प्रतिशत ग्राहक सहायता कर्मचारियों को हटाकर लीना नामक ‘चैटबॉट’ से सेवा की शुरुआत की है।
ग्राहकों को ई-कॉमर्स साइट शुरू करने में मदद करने वाली शाह की कंपनी ‘दुकान’ ने इस कदम से पूछताछ के लिए प्रतिक्रिया समय एक मिनट, 44 सेकंड से घटाकर ‘‘तत्काल’’ कर दिया।
इसने समस्याओं को हल करने में लगने वाले सामान्य समय को भी दो घंटे से घटाकर तीन मिनट से कुछ अधिक कर दिया। शाह ने ईमेल के जरिए जवाब में कहा, ‘‘यह सब जटिल प्रश्नों को सटीकता के साथ उत्तर देने की एआई की क्षमता है।’’
उन्होंने कहा कि ग्राहक सहायता प्रदान करने की लागत में 85 प्रतिशत की कमी आई है। ‘दुकान’ ने बिक्री और विश्लेषण के लिए एआई के उपयोग का विस्तार किया है।
शाह ने कहा कि उपकरण और अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह कोरोला (कार) से टेस्ला (अत्याधुनिक कार) में अपग्रेड करने जैसा है। जिस काम में पहले घंटों लगते थे, अब उसमें मिनटों का समय लगता है। और सटीकता बिल्कुल नए स्तर पर है।’’
इसी प्रकार, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च और लंदन के इंपीरियल कॉलेज बिजनेस स्कूल के शोधकर्ताओं ने पिछले वर्ष एक अध्ययन में पाया कि चैटजीपीटी के आने के आठ महीने के भीतर ही लेखकों, कोडर और कलाकारों के लिए नौकरियों के विज्ञापनों में गिरावट आ गई।
एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने चैटबॉट का इस्तेमाल किया, वे उन सहकर्मियों की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक उत्पादक साबित हुए जिन्होंने इसका इस्तेमाल नहीं किया।
एपी आशीष