आबकारी नीति घोटाला: न्यायालय ने पीएमएलए मामले में विजय नायर को जमानत दी
वैभव रंजन
- 02 Sep 2024, 05:09 PM
- Updated: 05:09 PM
नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े एक धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर को करीब 23 महीने की हिरासत के बाद सोमवार को जमानत दे दी और कहा कि स्वतंत्रता ‘अनुल्लंघनीय’ होती है और सख्त कानूनों से संबंधित मामलों में भी इसका सम्मान होना चाहिए।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस कानूनी सिद्धांत को भी स्वीकार किया कि ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है’।
न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इसी मामले में आप नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारत राष्ट्र समिति की नेता के. कविता को जमानत देते हुए इसका उल्लेख किया था।
सिसोदिया को शीर्ष अदालत ने नौ अगस्त को जमानत दी थी। न्यायालय ने कविता को भी 27 अगस्त को जमानत दी।
हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अभी तक मुख्य मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में जमानत नहीं मिली है।
न्यायमूर्ति रॉय ने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता 23 महीने से हिरासत में हैं और विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं। मुकदमा शुरू होने से पहले इस तरह सजा नहीं दी जा सकती। यदि याचिकाकर्ता को इतने लंबे समय तक विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में रखा जाता है तो ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है’ का सार्वभौमिक सिद्धांत पूरी तरह से विफल हो जाएगा, जबकि दोषसिद्धि की स्थिति में सजा अधिकतम 7 वर्ष ही हो सकती है। हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता जमानत के हकदार हैं। तदनुसार, इस आदेश में दी गई शर्तों पर जमानत दी जाती है।’’
सुनवाई पूरी होने के बाद एक खुली अदालत में आदेश सुनाते हुए पीठ ने कहा कि मुकदमे के रास्ते में उसके ये निर्देश नहीं आएंगे।
न्यायालय ने इन दलील को संज्ञान में लिया कि नायर धन शोधन मामले में 13 नवंबर, 2022 से जेल में हैं और दोष सिद्ध होने पर अधिकतम सजा सात साल की है।
पीठ ने नायर को जमानत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की इस दलील को खारिज कर दिया कि कविता को पीएमएलए के उस प्रावधान से लाभ मिला है, जो महिला को जमानत प्रदान करता है।
पीठ ने कहा कि सिसोदिया के मामले की सुनवाई के दौरान ईडी ने अदालत को आश्वासन दिया था कि आबकारी नीति मामलों में सुनवाई छह से आठ महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘‘लेकिन जैसा कि देखा जा सकता है कि मुकदमा अभी शुरू भी नहीं हुआ।’’
पीठ ने कहा कि मामले में 40 आरोपी हैं और ईडी करीब 350 गवाहों से पूछताछ करना चाहती है।
पीठ ने 12 अगस्त को नायर की जमानत अर्जी पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा था। उन्हें सीबीआई के मामले में पिछले साल नवंबर में जमानत दे दी गई थी।
ईडी ने 13 नवंबर, 2022 को नायर को गिरफ्तार किया था। नायर ने निचली अदालत के 29 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उनकी स्वाभाविक जमानत की याचिका को खारिज कर दिया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल तीन जुलाई को धन शोधन मामले में नायर और अन्य सह-आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
धन शोधन का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी से उपजा है, जो अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के मामले में उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा की गई जांच की सिफारिश के बाद दर्ज की गई थी।
भाषा वैभव