जीटीआरआई ने भारत-यूएई व्यापार समझौते के तहत कीमती धातुओं का आयात बढ़ने पर जताई चिंता
निहारिका अजय
- 16 Jul 2024, 03:41 PM
- Updated: 03:41 PM
नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत संयुक्त अरब अमीरात से बहुमूल्य धातुओं के आयात में वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी जांच की मांग की है। इससे घरेलू आभूषण उद्योग प्रभावित हो रहा है और सालाना आधार पर राजस्व नुकसान की आशंका है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट अनुसार, इन मुद्दों का समाधान करके अधिकारी आयात व्यवहार को बेहतर कर सकते हैं, घरेलू उद्योगों की सुरक्षा कर सकते हैं और महत्वपूर्ण राजस्व हानि को रोक सकते हैं।
इसमें समझौते की तत्काल समीक्षा की मांग करते हुए कहा गया है कि भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) आने वाले वर्षों में शून्य शुल्क के साथ यूएई से भारत में सोने, चांदी, प्लैटिनम और हीरे के असीमित आयात की अनुमति देता है।
आर्थिक शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इससे ‘‘ वार्षिक राजस्व में भारी हानि होगी, आयात कारोबार बैंकों से कुछ निजी व्यापारियों के पास चला जाएगा और शीर्ष आपूर्तिकर्ताओं के स्थान पर दुबई स्थित कंपनियां आ जाएंगी।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ सीईपीए के तहत शून्य-शुल्क नीति से वित्त वर्ष 2023-24 के आयात स्तर के आधार पर सोने तथा चांदी के शुल्क-मुक्त आयात के कारण 63,375 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व नुकसान होने का अनुमान है।’’
जीटीआरआई ने दावा किया कि कई आयात मूल नियमों की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं..इसलिए रियायतों के पात्र नहीं हैं और इससे ‘‘ धनशोधन की प्रबल आशंका’’ उत्पन्न होती है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘चांदी के आयात के लिए मूल्य संवर्धन प्रक्रिया संदिग्ध है, जिसमें धन शोधन की चिंताएं हैं। रियायती शुल्क का लाभ उठाने के लिए चांदी के आयात को भारतीय बंदरगाहों से गिफ्ट सिटी एक्सचेंज में स्थानांतरित करने का यही कारण है।’’
गिफ्ट सिटी के जरिये किए जा रहे आयात के संबंध में जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि पूर्व-व्यवस्थित सौदों और ‘बिल’ में हेराफेरी की जांच के लिए कैग ऑडिट होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि व्यापार समझौते में ऐसे प्रावधान हैं जो अगले कुछ वर्षों में भारत में शुल्क मुक्त सोने, चांदी, प्लैटिनम और हीरे के असीमित आयात की अनुमति देते हैं।
भाषा निहारिका