एमसीडी ने 29 करोड़ रुपये की स्वच्छ वायु निधि खर्च नहीं की, आरटीआई से हुआ खुलासा
सुभाष नेत्रपाल
- 14 Nov 2025, 06:43 PM
- Updated: 06:43 PM
नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने पिछले दो वर्षों में अपने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 28.77 करोड़ रुपये से अधिक की निधि खर्च नहीं की। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत की गई मांग के जवाब में मिली।
एमसीडी ने 2023-24 वित्त वर्ष की शुरुआत पिछले आवंटन के 26.6 करोड़ रुपये के साथ की। नगर निगम द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सौंपे गए उपयोग प्रमाण पत्रों और आरटीआई आवेदन के जवाब से यह पता चला है।
उक्त अवधि के दौरान, दिल्ली को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत अतिरिक्त 8.93 करोड़ रुपये मिले, जिससे कुल उपलब्ध धनराशि 35.3 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। हालांकि, दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 2023-24 में केवल 5.19 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया, जिससे मार्च 2024 के अंत तक 30.11 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए।
वित्त वर्ष (2024-25) में, दिल्ली ने उस अप्रयुक्त राशि से काम शुरू किया और लगभग 75 लाख रुपये का ब्याज अर्जित किया, जिससे कुल उपलब्ध धनराशि 30.8 करोड़ रुपये हो गई।
जवाब के अनुसार, मार्च 2025 तक केवल 1.34 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जिससे 29.5 करोड़ रुपये की राशि अप्रयुक्त रही।
एनसीएपी के तहत, कई उपाय किए जाने की उम्मीद थी - जिसमें मशीनीकृत सड़क सफाई और पानी के छिड़काव के माध्यम से धूल नियंत्रण से लेकर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों की स्थापना, हरित बफर और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार शामिल थे।
हालांकि, आरटीआई आवेदन के जरिये प्राप्त विवरण से पता चलता है कि ज़मीनी स्तर पर कार्यान्वयन ‘‘इतने प्रभावी ढंग से’’ नहीं किया गया था, और एनसीएपी निधियों का उपयोग ‘‘बढ़ाने की आवश्यकता है।’’
आरटीआई जवाब में, पीआरएएनए पोर्टल पर शहर-स्तरीय प्रगति डेटा अपलोड करने में देरी को भी रेखांकित किया गया है, जो देश भर में एनसीएपी गतिविधियों के कार्यान्वयन पर नजर रखता है।
उदाहरण के लिए, शहर ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व ढांचे के तहत पंजीकरण नहीं कराया है और आवश्यकता के बावजूद, आधिकारिक पोर्टल पर ई-कचरा संग्रहण केंद्रों को अधिसूचित नहीं किया गया है।
इस बीच, महत्वपूर्ण वाहन प्रदूषण उपाय - जैसे स्वचालित परीक्षण केंद्र और वाहन स्क्रैपिंग केंद्र स्थापित करना - अभी तक चालू नहीं हुए हैं।
यह आरटीआई आवेदन नोएडा स्थित पर्यावरणविद् अमित गुप्ता द्वारा दायर किया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी कई दिनों से गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रही है। मंगलवार को, दिल्ली का एक्यूआई 400 को पार करने के बाद ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। शहर में बृहस्पतिवार तक वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ बनी रही, लेकिन शुक्रवार को मामूली सुधार के बाद यह ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गई।
भाषा सुभाष