बिहार में राजग की प्रचंड जीत; भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की ओर, महागठबंधन 35 सीटों पर सिमटा
ब्रजेन्द्र नरेश
- 14 Nov 2025, 06:03 PM
- Updated: 06:03 PM
पटना, 14 नवंबर (भाषा) बिहार विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 243 में से करीब 200 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने की ओर अग्रसर है जबकि करीब 95 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है।
नतीजे ऐसे ही रहे तो यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और उनके चुनावी अभियान की धमक पर एक बार फिर जनता की मुहर होगी। इस चुनाव में मोदी राजग का सबसे बड़ा चेहरा रहे और उन्होंने तेरह जनसभाएं कर इस चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और तीन वाम दलों के महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सर्वेक्षणों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में तेजस्वी यादव सबसे पसंदीदा चेहरे के रूप में उभरे थे।
विपक्षी गठबंधन 35 सीटों के आंकड़े पर सिमटता नजर आ रहा है।
भाजपा ने 101 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और 95 से अधिक सीटों पर उसने बढ़त बनाई हुई है। भाजपा का यह प्रदर्शन उसे राजनीतिक रूप से और मजबूत करेगा और पिछले साल के लोकसभा चुनाव में मिले झटके की बहुत हद तक भरपाई करेगा।
दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा के लगातार शानदार प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में बिहार विधानसभा चुनाव के यह रुझान सामने आए हैं।
इस चुनाव में जनता दल (यूनाईटेड) को भी काफी फायदा मिलता दिख रहा है। साल 2020 के चुनाव में केवल 43 सीटें जीतने वाली नीतीश की पार्टी इस बार लगभग 19 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 84 से अधिक सीटों पर आगे है।
खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘हनुमान’ बताने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 19 सीटों पर आगे है।
पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल करने के बावजूद प्रमुख विपक्षी पार्टी रही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक दिख रहा है और वह केवल 26 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। राजद ने इस चुनाव में 140 से भी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था।
बिहार में सरकार बनाने के लिए कम से कम 122 सीटें जीतना जरूरी है।
निर्वाचन आयोग द्वारा कराए गए मतदाता सूची के पुनरीक्षण में कथित अनियमितताओं के बीच दो चरणों में हुए बिहार चुनावों में राजग की यह जीत और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले छह महीनों के भीतर ही पश्चिम बंगाल और असम में चुनाव होने वाले हैं।
भाजपा सांसद और मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राजग बिहार में भारी जीत की ओर बढ़ रहा है।’’
रूझानों में जीत के आवश्यक आंकड़े को पार करने के कुछ ही देर बाद दोपहर में भाजपा और जदयू के कार्यालयों में जश्न की लहर दौड़ गई और कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ नृत्य करना, पटाखे फोड़ना, गुलाल लगाना और अपने-अपने नेताओं की प्रशंसा में नारेबाजी करना शुरु कर दिया।
जद (यू) के 75 वर्षीय राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के सामने पार्टी कार्यकर्ताओं ने ‘टाइगर अभी जिंदा है’ शीर्षक से लगे एक पोस्टर के सामने फोटो भी खिंचवाए।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘बेशक नीतीश कुमार का कद बाघ से भी ऊंचा है... और हमें विश्वास है कि ये रुझान परिणामों में परिवर्तित हो जाएंगे।’’
अभी तक भाजपा 16 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है जबकि जद (यू) 14 पर और राजद सिर्फ चार पर। रुझानों में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (तारापुर) और विजय कुमार सिन्हा (लखीसराय) और नीतीश कुमार कैबिनेट में मंत्री नितिन नबीन (बांकीपुर) और नीतीश मिश्रा (झंझारपुर) जैसे प्रमुख भाजपा नेताओं ने अजेय बढ़त हासिल की है।
भाजपा ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे करीब 21 प्रतिशत वोट मिले हैं।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा क्रमश: पांच और चार सीटों पर आगे है। दोनों दलों ने छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ा था।
कांग्रेस, जिसे अक्सर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में एक ‘कमजोर कड़ी’ के रूप में देखा जाता है, 61 में से केवल चार में आगे है।
भाजपा के एक अन्य राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में विपक्षी पार्टी ने न केवल अपनी विरासत खोई है बल्कि विश्वसनीयता भी गंवा दी है।
उन्होंने एक पोस्ट में कहा, ‘‘नेहरू जी की जयंती पर राहुल ने कांग्रेस को दिया तोहफा: बार-बार 95 नुकसान! विरासत खो गई, विश्वसनीयता भी खो गई!’’
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, जिस पर अक्सर भाजपा की ‘बी-टीम’ होने का आरोप लगाया जाता है, पांच सीटों पर आगे है। पार्टी ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
प्रशांत किशोर की बहुप्रचारित जन सुराज पार्टी ने निराशाजनक प्रदर्शन किया है। इस चुनाव में उसका खाता भी खुलता नहीं दिख रहा है।
लगातार दूसरे चुनाव में भाजपा के जद (यू) से बेहतर प्रदर्शन करने के साथ ही कार्यकर्ताओं के भीतर से अपने 'मुख्यमंत्री' की मांग उठने की संभावना प्रबल हो गई है।
गौरतलब है कि बिहार देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां भाजपा अभी तक अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है।
हालांकि, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बात पर जोर देते रहे हैं कि बिहार में राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं।
जानकार मानते हैं कि भाजपा ने यह रणनीति इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपनाई होगी क्योंकि उसके पास लोकसभा में बहुमत नहीं है और वह जद (यू) जैसे सहयोगियों पर निर्भर है। केंद्र की सरकार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा का भी समर्थन हासिल है।
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