न्यायालय ने तमिलनाडु से बांध संबंधी विरोध का मुद्दा सीडब्ल्यूसी के समक्ष रखने को कहा:मंत्री
देवेंद्र संतोष
- 13 Nov 2025, 09:15 PM
- Updated: 09:15 PM
चेन्नई, 13 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि राज्य सरकार मेकेदातु बांध परियोजना को लेकर अपने विरोध से सीडब्ल्यूएमए और सीडब्ल्यूसी को अवगत करा सकती है और निचले तटवर्ती राज्य के विचारों को सुने बिना कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता।
मंत्री ने इस “भ्रमित करने वाली जानकारी” को खारिज किया, जिसमें दावा किया गया था कि उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को कावेरी नदी पर मेकेदातु जलाशय बनाने की अनुमति दे दी है।
उन्होंने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगी और कर्नाटक को शीर्ष अदालत के फैसले तथा कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले का उल्लंघन कर बांध बनाने की अनुमति नहीं देगी।
मंत्री ने कहा कि अतीत की तरह तमिलनाडु - जो कानूनी लड़ाई लड़ रहा है - पड़ोसी राज्य को बांध निर्माण से रोकने में सफल रहेगा।
द्रमुक के वरिष्ठ नेता दुरईमुरुगन ने 13 नवंबर को उच्चतम न्यायालय के आदेश की विस्तृत पृष्ठभूमि प्रस्तुत की, जिसमें वर्ष 2018 से लेकर अब तक की कानूनी लड़ाइयों और संबंधित घटनाक्रमों का विवरण दिया गया है।
मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर कर्नाटक द्वारा मेकेदातु में कावेरी नदी पर एक बांध (67 टीएमसी भंडारण क्षमता के साथ) के निर्माण पर एकतरफा व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने और वर्ष 2018 में केंद्रीय जल आयोग को प्रस्तुत करने को चुनौती दी थी।
उन्होंने कहा कि जब कर्नाटक सरकार ने परियोजना के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन पर संदर्भ की शर्तों के अनुमोदन के लिए 2020 में केंद्र से संपर्क किया, तो तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका दायर की और पड़ोसी राज्य के उस कदम को रोक दिया।
उन्होंने कहा कि इसके बाद, जब कर्नाटक बजट में मेकेदातु परियोजना के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, तो तमिलनाडु सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया और 21 मार्च, 2022 को तमिलनाडु विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें केंद्र और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) से परियोजना के लिए मंजूरी न देने का आग्रह किया गया।
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मार्च और मई 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान उनसे उस परियोजना को अनुमति न देने का अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने सात जून, 2022 को उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि सीडब्ल्यूएमए के पास विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर विचार करने का अधिकार नहीं है, हालांकि इसे चर्चा के एजेंडे में शामिल किया गया था।
मंत्री ने कहा कि इसलिए, तमिलनाडु सरकार द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों के मद्देनजर, सीडब्ल्यूएमए की बैठकों में मेकेदातु जलाशय पर डीपीआर पर आज तक चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, नौ फरवरी, 2024 को सीडब्ल्यूएमए ने मेकेदातु पर परियोजना प्रस्ताव केंद्रीय जल आयोग को वापस कर दिया और यह तमिलनाडु सरकार के प्रयासों के लिए एक बड़ी जीत थी।
दुरईमुरुगन ने कहा इसलिए, ‘‘कुछ गलत खबरें’’ - जैसे कि उच्चतम न्यायालय ने मेकेदातु बांध के निर्माण के लिए अपनी मंजूरी दे दी है - निंदनीय है और ऐसे दावों में स्पष्ट रूप से कोई सच्चाई नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मॉडल सरकार तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र के किसानों के अधिकारों से कभी समझौता नहीं करेगी।
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक द्वारा कावेरी नदी पर मेकेदातु जलाशय परियोजना के निर्माण के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका को 13 नवंबर को खारिज कर दिया और इसे ‘‘समय से पूर्व दायर की गई अर्जी’’ बताया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि राज्य की आपत्तियों के साथ-साथ विशेषज्ञ निकायों, कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) और सीडब्ल्यूएमए की राय पर विचार करने के बाद ही योजना को मंजूरी दी जायेगी।
भाषा
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