संवैधानिक सुधारों पर जनमत संग्रह फरवरी में आम चुनावों के साथ होगा: मुहम्मद यूनुस
सुभाष नरेश
- 13 Nov 2025, 08:25 PM
- Updated: 08:25 PM
ढाका, 13 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले साल फरवरी में आम चुनावों के साथ-साथ संवैधानिक सुधारों पर जनमत संग्रह भी कराया जाएगा।
कई दौर की चर्चा के बावजूद राजनीतिक दलों द्वारा जनमत संग्रह के समय पर आम सहमति बनाने में विफल रहने के बाद यूनुस ने टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यह घोषणा की।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद, हमने जनमत संग्रह और राष्ट्रीय चुनाव एक ही दिन -- अगले साल फरवरी के पहले पखवाड़े में -- कराने का निर्णय लिया है।’’
उन्होंने कहा कि सलाहकार परिषद ने बृहस्पतिवार को ‘‘जुलाई चार्टर कार्यान्वयन आदेश, 2025’’ को मंज़ूरी दे दी।
उन्होंने कहा, ‘‘(सलाहकार परिषद) आदेश में यह भी बताया गया है कि जुलाई चार्टर को संविधान में शामिल करने की व्यवस्था की जाएगी, जो इसे लागू करने की (राजनीतिक दलों की) प्रतिबद्धता के अनुरूप होगा।’’
यूनुस की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सहमति आयोग ने जुलाई चार्टर का मसौदा तैयार किया, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) तथा जमात-ए-इस्लामी सहित कई राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बाद 80 से अधिक सुधार प्रस्ताव शामिल किये गए।
राजनीतिक दलों ने 17 अक्टूबर को दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया को लेकर मतभेद उभर आए।
बीएनपी ने कहा कि मतदान के दिन इस पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए। वहीं, जमात-ए-इस्लामी चाहती है कि यह चुनावों से पहले हो।
सरकार ने पिछले हफ़्ते सभी राजनीतिक दलों से जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह पर एक हफ़्ते के भीतर आम सहमति बनाने को कहा था। साथ ही यह भी कहा था कि अगर वे किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए तो सरकार एकतरफ़ा फ़ैसला लेगी।
अपने संबोधन में, मुख्य सलाहकार ने कहा कि अगर जनमत संग्रह में जुलाई चार्टर के प्रस्तावों को मंज़ूरी मिल जाती है, तो सांसदों की सदस्यता वाली एक ‘‘संवैधानिक सुधार परिषद’’ बनाई जाएगी, और वे संसद सदस्य के रूप में भी काम करेंगे।
यूनुस ने कहा कि जनमत संग्रह मतपत्र, जो मतदाताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, में चार प्रमुख सुधार शामिल होंगे, जिनमें दो द्विसदनीय संसद स्थापित करना और चुनाव संचालन के लिए कार्यवाहक सरकार प्रणाली की बहाली शामिल है।
उन्होंने कहा कि नयी संसद में दो सदन होंगे, और राष्ट्रीय चुनाव में राजनीतिक दलों को मिले मतों के अनुपात में 100 सदस्यीय उच्च सदन गठित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी संवैधानिक संशोधन के लिए उच्च सदन में बहुमत से प्रस्ताव को पारित करने की आवश्यकता होगी।
मुख्य सलाहकार ने कहा कि उनकी सरकार ‘‘तीन मुख्य जिम्मेदारियों के साथ गठित की गई है: हत्याओं के मामलों की सुनवाई करना, एक जवाबदेह और प्रभावी लोकतांत्रिक प्रणाली में परिवर्तन के लिए आवश्यक सुधार करना, और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से जनता द्वारा चुनी गई सरकार को सत्ता हस्तांतरित करना।’’
पिछले वर्ष सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों के मामले में विशेष न्यायाधिकरण अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ 17 नवंबर को अपना फैसला सुनाएगा।
इस बीच, बीएनपी ने आरोप लगाया कि एक आम सहमति आयोग ने अंततः चार्टर तैयार किया, जिसमें पार्टी द्वारा दर्ज कराई गई असहमति को हटा दिया गया।
हालांकि, बाद में पार्टी अनिच्छा से जनमत संग्रह के लिए सहमत हो गई, लेकिन कहा कि यह चुनाव के दिन ही होना चाहिए।
बीएनपी ने कहा कि यूनुस ने जुलाई चार्टर का उल्लंघन किया है, जिस पर उन्होंने स्वयं हस्ताक्षर किए थे। पार्टी ने कहा कि उस दस्तावेज में कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति संवैधानिक सुधार परिषद या पीआर प्रणाली जैसी कोई नई चीज नहीं थोप सकता, क्योंकि पार्टी ने चार्टर तैयार किये जाने के दौरान ऐसे प्रस्तावों पर अपनी असहमति व्यक्त की थी।
बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने कहा, ‘‘मुख्य सलाहकार ने उस चार्टर का उल्लंघन किया है जिस पर उन्होंने 17 अक्टूबर को राष्ट्रीय संसद के साउथ प्लाज़ा में हस्ताक्षर किए थे। आज अपने भाषण में, उन्होंने स्पष्ट रूप से उस दस्तावेज़ का उल्लंघन किया है।’’
वहीं, जमात ने चुनावों से पहले जनमत संग्रह कराने की अपनी मांग को खारिज किये जाने पर खेद व्यक्त किया।
जमात के महासचिव मियां गुलाम पोरवार ने कहा, ‘‘चुनाव और जनमत संग्रह एक ही दिन कराने की घोषणा करके सरकार ने देश को और संकट में डाल दिया है।’’
नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) ने कहा कि उसे जनमत संग्रह के समय पर कोई आपत्ति नहीं है।
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