उत्तर प्रदेश आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण और समावेशन के लिए प्रतिबद्ध: आदित्यनाथ
जफर नोमान नरेश
- 13 Nov 2025, 07:35 PM
- Updated: 07:35 PM
लखनऊ, 14 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में आदिवासी समुदायों के सामाजिक समावेशन, शिक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित और राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान भी करती है।
जनजातीय गौरव पखवाड़ा के तहत लखनऊ में आयोजित 'जनजातीय भागीदारी उत्सव' में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम जनजातीय प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा की विरासत का जश्न मनाता है और उनकी 150वीं जयंती को चिह्नित करता है।
आदित्यनाथ ने कहा कि एक से 15 नवंबर तक मनाए जा रहे राष्ट्रव्यापी पखवाड़े का उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहां आदिवासी समुदाय अपनी परंपराओं, संस्कृति और विरासत पर गर्व कर सकें और साथ ही मुख्यधारा के विकास के साथ जुड़ सकें।
उन्होंने कहा, "यह वर्ष भारत के लिए ऐतिहासिक है। यह सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा, दोनों महान धरतीपुत्रों के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है, जिन्होंने भारत की एकता और आत्म-सम्मान की नींव रखी।"
आदित्यनाथ ने कहा, "बिरसा मुंडा ने मात्र 25 वर्ष की आयु में 'अपना देश, अपना राज' के नारे के साथ राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया तथा आने वाली पीढ़ियों को स्वशासन के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया।"
जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए सरकार की पहल पर प्रकाश डालते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि उनके प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम किया है कि राज्य में सभी मान्यता प्राप्त जनजातियों जैसे थारू, मुसहर, सहरिया, कोल और गौर को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले।
उन्होंने कहा, "डबल इंजन वाली सरकार आदिवासी समुदाय के गौरव को बहाल करने, उनकी विरासत की रक्षा करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार के प्रयासों से जनजातीय युवाओं में शिक्षा और भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "पहले सरकारी भर्ती में आरक्षित पद रिक्त रह जाते थे, लेकिन हाल में 7,244 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सभी पद भर दिए गए।"
आदित्यनाथ ने कहा कि 1.5 लाख से अधिक आदिवासी छात्र छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं।
उन्होंने कहा, "लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, बहराइच, महराजगंज, श्रावस्ती और बिजनौर जैसे जिलों में हमारे नौ आश्रम पद्धति स्कूल चल रहे हैं, जो 2,000 से अधिक आदिवासी छात्रों को शिक्षित करते हैं। एकलव्य मॉडल स्कूलों के साथ-साथ कई जिलों में मुफ्त छात्रावास भी विकसित किए जा रहे हैं।"
मुख्यमंत्री ने बताया कि 13 जिलों के 23,000 से अधिक वनवासी आदिवासी परिवारों को उनके दावों को आधिकारिक अभिलेखों में दर्ज करके भूमि अधिकार दिए गए हैं।
कार्यक्रम के सांस्कृतिक पहलू की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 राज्यों के कलाकार और प्रतिनिधि लखनऊ में एकत्रित हुए हैं, जहां उन्होंने प्रस्तुतियों , प्रदर्शनियों और व्यंजनों के माध्यम से जनजातीय परंपराओं की विविधता को प्रदर्शित किया।
उन्होंने कहा, "यह सिर्फ सांस्कृतिक आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि भारत की विविधता में एकता का उत्सव है।"
इस अवसर पर पर्यटन-संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण व अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत समेत अन्य मौजूद रहे।
भाषा जफर नोमान