लाल किले के पास विस्फोट : सदमे में मृतकों के परिवार
आशीष पवनेश
- 12 Nov 2025, 10:14 PM
- Updated: 10:14 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) लाल किला के पास विस्फोट के पीड़ितों में से एक मोहम्मद जुम्मन की शोकाकुल बहन ने कहा, ‘‘केवल उसका धड़ ही बरामद हुआ...हमने उनकी पहचान उस दिन पहने हुए कपड़ों से की।’’
पुलिस के अनुसार, 12 मृतकों में से अब तक आठ की पहचान हो चुकी है।
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "अब तक कुल आठ शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि शेष चार को डीएनए परीक्षण के लिए संरक्षित किया गया है। परीक्षण के परिणाम की पुष्टि होने के बाद शवों को उनके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया जाएगा।"
जिन मृतकों की पहचान की गई है उनमें अमर कटारिया (35), मोहम्मद जुम्मन (35), अशोक कुमार (34), मोहसिन मलिक (35), दिनेश कुमार मिश्रा (35), लोकेश कुमार अग्रवाल (52), पंकज सैनी (23) और मोहम्मद नौमान (19) शामिल हैं।
ई-रिक्शा चालक जुम्मन अपने परिवार में कमाने वाले इकलौता शख्स थे। जुम्मन की बहन नजमा ने कहा, "मेरे भाई का ई-रिक्शा जीपीएस से लैस था। उनकी आखिरी लोकेशन लाल किले के पास थी। इसलिए हम वहां गए, लेकिन पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है। न सिर था, न हाथ, न पैर। हमने उनके कपड़ों से उनके धड़ की पहचान की।"
उन्होंने बताया कि घर में जुम्मन की मां, दिव्यांग पत्नी और तीन बच्चे हैं। नजमा ने कहा, "उनकी देखभाल कौन करेगा? मेरी भाभी तो बाहर जाकर नौकरी भी नहीं कर सकतीं। उनके बच्चे बहुत छोटे हैं। सरकार की तरफ से हमें कोई सूचना नहीं मिली है। उन्हें उनके बच्चों की पढ़ाई का ध्यान रखना चाहिए।"
कालकाजी में अमर कटारिया के परिवार के सदस्य अभी भी सदमे में हैं। अमर दवा की दुकान चलाते थे और रोज़ाना सुबह लगभग 10 बजे घर से निकलते और शाम 7:30 बजे तक लौट आते थे।
उनके पिता जगदीश कटारिया ने कहा, "अमर हमारा इकलौता बेटा था। उसकी शादी चार साल पहले हुई थी और उसका तीन साल का एक बेटा है। उसने विस्फोट से 10 मिनट पहले हमें फ़ोन करके बताया था कि वह घर आ रहा है।"
उन्होंने कहा, "बाद में जब हमने उसे फोन किया तो एक महिला ने फोन उठाया और बताया कि उन्हें उसका फोन लाल किले के पास मिला, जहां विस्फोट हुआ था।"
इसके बाद परिवार लाल किला पहुंचा जहां उन्हें पता चला कि पीड़ितों को लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल ले जाया गया है।
जगदीश कटारिया ने बताया कि परिवार ने मंगलवार सुबह पांच बजे तक इंतज़ार किया और फिर अमर का शव मिला।
भाषा आशीष