कनाडा के साथ द्विपक्षीय साझेदारी और प्रगाढ़ होने की उम्मीद : जयशंकर
धीरज सुरेश
- 12 Nov 2025, 08:22 PM
- Updated: 08:22 PM
(तस्वीर के साथ)
ओटावा, 12 नवंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कनाडा के अपने समकक्ष अनीता आनंद के साथ बुधवार को व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और लोगों के बीच संबंधों के क्षेत्रों में भारत-कनाडा सहयोग की समीक्षा की।
यह समीक्षा बैठक दो साल पहले एक राजनयिक विवाद के बाद रिश्तों में आई खटास के बाद संबंधों को फिर से प्रगाढ़ करने की कोशिशों के तहत हुई।
कनाडा के नियाग्रा में एक बैठक में दोनों विदेश मंत्रियों ने ‘नई रूपरेखा-2025’ के कार्यान्वयन पर भी विचार-विमर्श किया, जिसे पिछले महीने आनंद की भारत यात्रा के दौरान अंतिम रूप दिया गया था।
जयशंकर दुनिया के औद्योगिक लोकतंत्रों के संगठन जी-7 के साझेदार देशों के साथ एक संवाद सत्र में हिस्सा लेने के लिए नियाग्रा में हैं।
विदेश मंत्री ने जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील और ब्रिटेन के अपने समकक्षों के साथ भी अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।
उन्होंने कनाडा की विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘नयी रूपरेखा-2025 के कार्यान्वयन में प्रगति की सराहना की। हमारी द्विपक्षीय साझेदारी और अधिक मजबूत होने की उम्मीद है।’’
आनंद ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि दोनों नेताओं ने ‘‘व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और लोगों के बीच संबंधों पर सहयोग’’ के बारे में चर्चा की।
कनाडा ने जी-7 बैठक के लिए जिन साझेदार देशों को आमंत्रित किया है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, सऊदी अरब, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और यूक्रेन शामिल हैं।
जयशंकर की कनाडा यात्रा आनंद की भारत यात्रा के एक महीने बाद हो रही है। उस वक्त दोनों पक्षों ने व्यापार, महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा के क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी रूपरेखा प्रस्तुत की थी।
कनाडा और भारत के रिश्तों में 2023 में उस वक्त खटास आ गई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के संबंध होने की आशंका जताई थी।
भारत ने ट्रूडो के आरोप को ‘बेतुका’ बताकर खारिज कर दिया था।
पिछले साल अक्टूबर में भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को तब वापस बुला लिया था, जब ओटावा ने उसे निज्जर मामले से जोड़ने की कोशिश की थी। भारत ने कनाडा के भी इतने ही राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
हालांकि, अप्रैल में संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी के नेता कार्नी की जीत के बाद रिश्तों को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश शुरू हुई।
दोनों पक्षों ने पहले ही एक-दूसरे की राजधानियों में अपने उच्चायुक्त तैनात कर दिए हैं।
जी-7 बैठक से इतर जयशंकर ने फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट के साथ भी बातचीत की।
विदेश मंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हमने रणनीतिक साझेदारी का जायजा लिया। बहुपक्षीय और बहुपक्षीय प्रारूपों में सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर चर्चा की।’’
ब्राजील के विदेश मंत्री मौरो विएरा के साथ अपनी द्विपक्षीय वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अधिक व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी सहयोग के अवसरों की सक्रियता से तलाश कर रहे हैं।’’
जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि चर्चा के केंद्र में द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी और भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को मजबूत करना था।
जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और वाडेफुल ने पश्चिम एशिया, हिंद-प्रशांत और अफगानिस्तान की स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
ब्रिटिश विदेश मंत्री यवेट कूपर के साथ अपनी बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि भारत-ब्रिटेन संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है।
भाषा
धीरज