न्यायालय ने न्यायाधीश पर जूता फेंकने जैसी घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाने को कहा
आशीष नरेश
- 12 Nov 2025, 07:11 PM
- Updated: 07:11 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अटार्नी जनरल और शीर्ष अदालत की बार एसोसिएशन से कहा कि वे अदालत परिसर में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई पर जूता उछालने के प्रयास जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि न्यायालय को जो भी करने की जरूरत होगी, उस पर विचार करेगा। पीठ ने प्रधान न्यायाधीश की तरफ जूता उछालने का प्रयास करने वाले वकील राकेश किशोर (71) के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने में अनिच्छा दिखाई थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से उपस्थित वकीलों से कहा कि वे अपने सुझाव दें, क्योंकि न्यायालय इस संबंध में अखिल भारतीय दिशानिर्देश तैयार करने पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘अदालत परिसर और बार कक्ष जैसे स्थानों पर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तीन-चार सुझाव देने के बारे में सोचिए। आप सभी कृपया सुझाव दीजिए।’’
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, "जो भी करना होगा, हम अगली तारीख पर देखेंगे। हम अटॉर्नी जनरल से भी इस संबंध में अपने सुझाव देने का अनुरोध करेंगे।"
पीठ एससीबीए की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वकील किशोर के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया। वकील ने छह अक्टूबर को अदालती कार्यवाही के दौरान प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता उछालने का प्रयास किया था।
उच्चतम न्यायालय ने 27 अक्टूबर को वकील के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने पर विचार करेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि प्रधान न्यायाधीश ने किशोर के खिलाफ कार्यवाही करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि अदालत में नारे लगाना और जूते फेंकना स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना का मामला है, लेकिन यह सब कानून के तहत संबंधित न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि वह आगे बढ़े या नहीं।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि अवमानना नोटिस जारी करने से प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता उछालने वाले वकील को अनावश्यक महत्व मिलेगा तथा इससे घटना को तवज्जो मिल जाएगी।
वकील किशोर के कृत्य के कारण बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने तत्काल प्रभाव से उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया था। इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी घटना की निंदा करते हुए प्रधान न्यायाधीश से बात की थी।
भाषा आशीष