स्वच्छ ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 260 गीगावाट पर: श्रीपद नाइक
रमण अजय
- 12 Nov 2025, 04:07 PM
- Updated: 04:07 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं बिजली राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने बुधवार को कहा कि भारत की स्थापित स्वच्छ ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 260 गीगावाट तक पहुंच गई है।
मंत्री ने हरित हाइड्रोजन पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस मजबूत नवीकरणीय आधार ने भारत को अगला निर्णायक कदम... हरित हाइड्रोजन क्रांति... उठाने के लिए सशक्त बनाया है।
इसका लक्ष्य ‘‘हमारी नवीकरणीय शक्ति को स्वच्छ ईंधन में परिवर्तित करना है जो उद्योगों को कार्बन मुक्त कर सकें, परिवहन को ईंधन प्रदान कर सकें और वैश्विक व्यापार का समर्थन कर सकें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमारी स्थापित स्वच्छ ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 260 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) तक पहुंच गई है। इसमें सौर और पवन ऊर्जा इस क्रांति का नेतृत्व कर रही हैं, जिसे हाइब्रिड (एक ही जगह सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं), भंडारण और ग्रिड आधुनिकीकरण उपायों का समर्थन प्राप्त है।’’
मंत्री ने कहा कि जनवरी, 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत की स्वच्छ ऊर्जा की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
उन्होंने कहा कि केवल दो वर्षों में, हम योजना से ठोस कार्रवाई की ओर बढ़ गए हैं और हरित हाइड्रोजन उत्पादन और इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण के लिए 17,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोत्साहन योजनाओं का आवंटन किया है।
नाइक ने यह भी कहा कि घरेलू इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण के लिए 3,000 मेगावाट प्रति वर्ष और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 8.62 लाख टन प्रति वर्ष परियोजनाएं प्रदान की गई हैं।
सेकी (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि.) ने उर्वरक इकाइयों को 7.24 लाख टन प्रति वर्ष हरित अमोनिया की आपूर्ति के लिए वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी मूल्य तलाशे हैं जो दुनिया में सबसे कम हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल रिफाइनरियों को 20,000 टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और आपूर्ति के लिए परियोजनाएं प्रदान की गई हैं।
उन्होंने कहा कि परिवहन, इस्पात और पोत परिवहन क्षेत्रों में पायलट परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं, जिनमें 37 हाइड्रोजन-ईंधन वाले वाहन, नौ ईंधन पंप, पांच हरित इस्पात पायलट और वीओ चिदंबरनार बंदरगाह पर भारत की पहली हाइड्रोजन बंकरिंग और ईंधन भरने की सुविधा शामिल है।
नाइक ने कहा कि कि नवोन्मेष परिवेश को मजबूत करने के लिए भारत ने जोधपुर, पुणे, भुवनेश्वर और केरल में चार हाइड्रोजन वैली नवोन्मेष संकुल (एचवीआईसी) शुरू किए हैं। ये अनुसंधान, प्रौद्योगिकी सत्यापन और स्थानीय विनिर्माण के लिए एकीकृत क्षेत्रीय परिवेश का निर्माण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसके साथ कौशल निर्माण के लिए 43 योग्यताएं स्वीकृत की गई हैं, 81 मुख्य प्रशिक्षक और 331 प्रशिक्षकों को जोड़ा गया है। इसके साथ 6,000 से अधिक युवाओं को हाइड्रोजन से संबंधित क्षेत्रों में हुनरमंद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
भाषा रमण