एआई के विकास से अमेरिका में बढ़ेगा कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन : अध्ययन
धीरज दिलीप
- 11 Nov 2025, 08:39 PM
- Updated: 08:39 PM
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) एक हालिया अध्ययन के मुताबिक अमेरिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की वर्तमान वृद्धि दर के कारण सालाना वातावरण में 2.4 से 4.4 करोड़ मीट्रिक टन अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह मात्रा अमेरिका की सड़कों पर 50 लाख से एक करोड़ अतिरिक्त कार से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है।
‘नेचर सस्टेनेबिलिटी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक, एआई के उपयोग में वृद्धि के कारण प्रति वर्ष 73.1 करोड़ से 112.5 करोड़ घन मीटर पानी खर्च होगा, यह मात्रा 60 लाख से एक करोड़ अमेरिकियों के घरों की सालाना जल इस्तेमाल के बराबर होगा।
कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि एआई के उपयोग से उद्योग के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन और उसके अवशोषित होने का समान स्तर)लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
कॉर्नेल विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज में ऊर्जा प्रणाली अभियंत्रिकी के प्रोफेसर और प्रमुख अनुसंधानकर्ता फेंगकी यू ने कहा, ‘‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता समाज के हर क्षेत्र में बदलाव ला रही है, लेकिन इसका तीव्र विकास ऊर्जा, जल और कार्बन पर भी असर डाल रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन एक सरल प्रश्न का उत्तर देने के लिए किया गया है। एआई कंप्यूटिंग बूम की व्यापकता को देखते हुए, यह किस पर्यावरणीय प्रक्षेप पथ पर आगे बढ़ेगा? और उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कौन से विकल्प इसे स्थिरता की ओर ले जाएंगे?’’
शोधकर्ताओं ने वित्तीय, विपणन और विनिर्माण क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित आंकड़ों को एकत्र करना शुरू किया, ताकि यह समझा जा सके कि एआई उद्योग किस प्रकार विस्तार कर रहा है। इन आंकड़ों को ऊर्जा प्रणालियों और संसाधन खपत, और जलवायु परिवर्तनों के साथ उनके संबंधों पर स्थान-विशिष्ट जानकारी के साथ जोड़ा गया।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अमेरिका में एआई सर्वर की स्थापना से ‘‘वर्ष 2024 से 2030 के बीच 73.1 करोड़ से 112.5 करोड़ (घन मीटर) तक वार्षिक जल का उपयोग बढ़ सकता है, तथा 2.4 से 4.4 करोड़ (मीट्रिक टन) कार्बन डाइ ऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त वार्षिक कार्बन उत्सर्जन हो सकता है, जो इस क्षेत्र के विस्तार के पैमाने पर निर्भर करेगा।’’
अनुसंधान टीम ने राज्य-दर-राज्य एआई के उपयोग के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करते हुए पाया कि डेटा केंद्रों का निर्माण जल की कमी वाले क्षेत्रों में किया जा रहा है, जैसे कि नेवादा और एरिज़ोना राज्यों में।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जल प्रचुर क्षेत्रों में डेटा सुविधाएं स्थापित करने तथा डेटा सेंटर की शीतलन दक्षता में सुधार करने से एआई की जल मांग में लगभग 52 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सर्वोत्तम ग्रिड और परिचालन प्रथाओं से एआई की जल मांग में 86 प्रतिशत तक की कटौती की जा सकती है।
शोधकर्ताओं ने स्मार्ट साइटिंग, तीव्र ग्रिड डीकार्बोनाइजेशन और परिचालन दक्षता का सुझाव दिया, जिससे एआई के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में 73 प्रतिशत और पानी की मांग में 86 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।
भाषा धीरज