अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल: गिरफ्तार महिला डॉक्टर जैश-ए-मोहम्मद के संगठन का हिस्सा
प्रशांत नरेश
- 11 Nov 2025, 08:15 PM
- Updated: 08:15 PM
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में एक महिला डॉक्टर भी शामिल थी। शुरुआती जांच के आधार पर अधिकारियों ने दावा किया कि वह प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पिछले महीने गठित जमात-उल-मोमिनात का हिस्सा थी।
सोमवार को श्रीनगर ले जाने के बाद गिरफ्तार की गयी डॉ. शाहीन सईद पर आरोप है कि वह भारत में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की महिला भर्ती शाखा का हिस्सा है।
अधिकारियों ने आरोप लगाया कि करीब 35 वर्षीय और फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़ी डॉ. सईद पाकिस्तान में अपने आका के संपर्क में थी और उसे आतंकवादी गतिविधियों के लिए अधिक से अधिक महिलाओं की भर्ती करने के निर्देश दिए गए थे।
लखनऊ में उसके पिता ने आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता के बारे में अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्हें उसकी गिरफ्तारी के बारे में मीडिया के माध्यम से ही पता चला है।
प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अपनी महिला इकाई बनाने के फैसले के बाद जमात-उल-मोमिनात का गठन हुआ। इसके गठन की घोषणा इस साल अक्टूबर में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर के नाम एक पत्र के माध्यम से की गई थी और सादिया अजहर को इसका प्रमुख नामित किया गया था।
सादिया यूसुफ अजहर की पत्नी है, जो सात मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए कई लोगों में से एक था, जब भारत ने बहावलपुर में मरकज सुभानअल्लाह में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर हमला किया था।
डॉ. सईद की कथित भूमिका से संकेत मिलता है कि जैश-ए-मोहम्मद महिला हमलावरों की भर्ती करने की आईएसआई की नीति का अनुसरण कर रहा है, जैसा कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे समूहों द्वारा अपनाया गया है, जो युद्ध या आत्मघाती अभियानों में महिलाओं का इस्तेमाल करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस घटनाक्रम ने जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर में कार्यरत सेना की चिंता को भी उजागर किया है कि आईएसआई महिलाओं को आतंकी मॉड्यूल में शामिल करने के लिए अधिक प्रयास कर रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने युवाओं, विशेषकर छात्राओं के बीच कथित कट्टरपंथ को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण कई शैक्षणिक संस्थानों, विशेषकर निजी स्कूलों पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर के कुछ निजी स्कूलों से परेशान करने वाली सूचनाएं मिल रही हैं जो कथित तौर पर युवाओं, मुख्य रूप से लड़कियों के बीच कट्टरपंथी विचारधाराओं के प्रसार में संलिप्त हैं।
महिलाओं में कट्टरपंथ की बढ़ती प्रवृत्ति ने कुछ पूर्व अलगाववादी समूहों को भी चौंका दिया है, उन्हें चिंता है कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दूसरी ओर से आने वाली एक और धार्मिक उग्रवाद की लहर घाटी की सदियों पुरानी ‘सूफी’ परंपरा को अस्थिर कर देगी।
भाषा प्रशांत