मेरी नाक बंद है; मुझे कैसे पता चलेगा कि यह ‘हे फीवर’ का लक्षण है या सर्दी का?
पारुल नरेश
- 11 Nov 2025, 04:17 PM
- Updated: 04:17 PM
(जेनेट डेविस और सईदेह हाजीघासेमी, क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय; जॉय ली, मोनाश विश्वविद्यालय)
क्वींसलैंड, 11 नवंबर (द कन्वरसेशन) क्या आप बंद नाक की समस्या से जूझ रहे हैं? क्या आंखों में जलन-खुजली, नाक में चुनचुनाहट, लगातार छींक और सीने में जकड़न की शिकायत ने आपको परेशान कर रखा है? क्या आप इन्हें सर्दी-जुकाम के लक्षण समझकर इलाज कर रहे हैं, लेकिन आपको ज्यादा राहत नहीं महसूस हो रही है?
अगर हां, तो संभव है कि आप गलत बीमारी के इलाज पर अपना समय जाया कर रहे हैं। यह भी संभव है कि आप ‘हे फीवर’ की समस्या से जूझ रहे हों, जिसके लक्षण बहुत हद तक सर्दी-जुकाम जैसे ही होते हैं। तो आइए जानते हैं कि ‘हे फीवर’ क्या है और इसके लक्षणों से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है।
------‘हे फीवर’ वास्तव में एक एलर्जी है------
हे फीवर ‘एलर्जी’ पैदा करने वाले सूक्ष्म कणों से होने वाली एलर्जी है, जिन्हें आप सांस के जरिये अंदर लेते हैं। इनमें परागकण, धूल के कण या जानवरों की मृत त्वचा कोशिकाएं शामिल होती हैं।
आमतौर पर शरीर इन हानिरहित कणों के खिलाफ प्रतिक्रिया नहीं करता। लेकिन कुछ लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली इन्हें खतरनाक समझ लेती है।
अगर आपको एलर्जी है, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली एक खास तरह का एंटीबॉडी ‘आईजीई’ तैयार करती है, जो एलर्जी पैदा करने वाले कारक को निशाना बनाता है।
और जब आप अगली बार एलर्जी पैदा करने वाली उस चीज के संपर्क में आते हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली फौरन ‘हिस्टामाइन’ जैसे रसायन छोड़ती है, जो एलर्जी के लक्षण उभारते हैं तथा उन्हें और तीव्र बनाते हैं।
‘हिस्टामाइन’ और उसके जैसे अन्य रसायन नाक, आंखों और गले की परत में सूजन पैदा करते हैं। इससे छींक आने, नाक बहने या बंद होने, आंखों में जलन-खुजली, थकान-कमजोरी और एकाग्रता में कमी की शिकायत सताने लगती है।
‘हिस्टामाइन’ नाक, आंखों और कभी-कभी गले या त्वचा की नसों में जलन पैदा करता है, जिससे खुजली होती है। यह आपके शरीर के लिए ‘झूठे अलार्म’ के रूप में काम करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को संकेत देता है कि उसे आपकी रक्षा के लिए एंटीबॉडी पैदा करने की जरूरत है।
------वायरल संक्रमण से कैसे लड़ता है शरीर------
जब आप सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं, तो वायरस सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं और आपकी नाक या गले में पहुंच जाते हैं। ये वायरस अपनी सतह पर मौजूद परत का इस्तेमाल करके आपकी नाक और गले की कोशिकाओं से जुड़ते हैं तथा उनमें प्रवेश करते हैं।
वहां वे न सिर्फ अपनी संख्या बढ़ाते हैं, बल्कि संक्रमित कोशिकाओं में विस्फोट कर आसपास मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं को भी वायरस की जद में ले लेते हैं। इससे ऐसे अणुओं का स्राव होता है, जो अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संक्रमित क्षेत्र में आने और वायरस से लड़ने का संकेत देते हैं।
वायरस से लड़ाई के दौरान ‘हिस्टामाइन’ और उससे मिलते-जुलते अन्य रसायन निकलते हैं, जिससे नाक बंद होने या बहने, गले में खराश, छींक आने और कभी-कभी बुखार जैसे लक्षण उभरते हैं।
------अलग-अलग श्वास संक्रमण में कैसे अंतर करें------
कई श्वास संक्रमण सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं। इनमें सामान्य सर्दी के लिए जिम्मेदार वायरस (राइनोवायरस), कोरोनावायरस (गैर-सार्स स्वरूप), एडिनोवायरस, फ्लू (इन्फ्लूएंजा), रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस (आरएसवी) और कोविड (सार्स-कोव-2) शामिल हैं।
हालांकि, ‘हे फीवर’ में मरीज को आम तौर पर बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और बलगम वाली खांसी की समस्या नहीं सताती, जबकि साधारण सर्दी-जुकाम या फ्लू के लिए जिम्मेदार वायरस से संक्रमित रोगी के मामले में ऐसा नहीं है।
लेकिन, अगर अस्थमा से पीड़ित मरीज ‘हे फीवर’ का शिकार हो जाता है, तो उसे बलगम वाली खांसी और सांस लेने में तकलीफ की समस्या भी परेशान कर सकती है।
आंखों में खुजली और नाक में चुनचुनाहट ‘हे फीवर’ के प्रमुख लक्षणों में शामिल है, जिन्हें अक्सर साधारण सर्दी-जुकाम के मामले में नहीं देखा जाता।
------लक्षणों की अवधि भी अहम संकेत------
लक्षणों की अवधि और उन्हें उभारने वाले कारण भी महत्वपूर्ण संकेत हो सकते हैं। सर्दी या फ्लू के लक्षण जहां एक से दो हफ्ते में ठीक हो सकते हैं और आमतौर पर सर्दियों के महीने में इनके मामले चरम पर होते हैं।
वहीं, ‘हे फीवर’ के लक्षण वसंत ऋतु से लेकर गर्मी के मौसम तक में बने रह सकते हैं, जब परागकणों के स्थानांतरण का समय होता है। इसके अलावा, जब व्यक्ति एलर्जी के लिए जिम्मेदार तत्वों के संपर्क में आता है, तो भी उसे ‘हे फीवर’ के लक्षण परेशान कर सकते हैं।
------‘हे फीवर’ को हल्के में लेना खतरनाक------
‘हे फीवर’ का इलाज न करने पर न सिर्फ जीवन की गुणवत्ता, बल्कि स्कूल और कार्यस्थल पर प्रदर्शन पर भी गहरा असर पड़ सकता है। लक्षण महीनों तक बने रह सकते हैं और एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों, खासकर परागकण या धूल के संपर्क में आने पर बार-बार उभर सकते हैं।
अगर अस्थमा के मरीज ‘हे फीवर’ की चपेट में आ जाएं, तो उनकी श्वास समस्या और गंभीर हो सकती है और यहां तक अस्पताल में भर्ती कराने तक की नौबत आ सकती है।
परागण के मौसम में आंधी आने पर ‘थंडरस्टॉर्म अस्थमा’ की समस्या भी पनप सकती है, भले ही आपको पहले कभी अस्थमा न हुआ हो।
साधारण सर्दी-जुकाम आम तौर पर आराम, तरल पदार्थ के अधिक सेवन और पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाओं से अपने आप ठीक हो जाते हैं।
लेकिन, इंफ्लुएंजा, सार्स-कोव-2 और आरएसवी जैसे वायरस कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। इनमें निमोनिया, ब्रोंकाइटिस/ब्रोंकियोलाइटिस और यहां तक कि असामयिक मौत भी शामिल हो सकती है, इसलिए प्रारंभिक स्वास्थ्य देखभाल अहम होती है।
------एलर्जी के लक्षणों पर कैसे काबू पाएं------
‘हे फीवर’ के लक्षणों से राहत पाने का सबसे कारगर तरीका ‘स्टेरॉयड स्प्रे’ को नाक में डालना या स्टेरॉयड स्प्रे को एंटीहिस्टामाइन के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना है। एंटीहिस्टामाइन की गोलियां सूजन को नियंत्रित करने में नाक में डालने वाले स्टेरॉयड स्प्रे जितनी प्रभावी नहीं होतीं।
इसके अलावा, एलर्जी के लिए जिम्मेदार कणों के संपर्क में आने से भी बचना चाहिए। मास्क का इस्तेमाल, नियमित अंतराल पर साबुन से हाथ धोना और परागण या धूल उड़ने के मौसम में बाहर निकलने से बचना भी ‘हे फीवर’ से बचाव में कारगर साबित हो सकता है।
(द कन्वरसेशन)
पारुल