एसआईआर ‘वोटबंदी’ की कवायद, यह तत्काल बंद की जानी चाहिए : ममता बनर्जी
धीरज प्रशांत
- 10 Nov 2025, 08:52 PM
- Updated: 08:52 PM
(तस्वीरों के साथ)
कोलकाता, 10 नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने को ‘वोटबंदी’ करार दिया और आयोग से यह कवायद तत्काल रोकने की मांग की।
मुख्यमंत्री ने केंद्र पर ‘‘एसआईआर के नाम पर राज्य सरकार के कर्मचारियों को महीनों तक रोके रखने’’ का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर ‘‘सुपर इमरजेंसी’’ जैसी स्थिति पैदा करने का भी आरोप लगाया।
बनर्जी ने दावा किया, ‘‘राज्य कर्मचारियों को अगले साल फरवरी तक रोका जा रहा है, जब अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी। उसके बाद चुनावों की घोषणा होगी। राज्य सरकार कब काम करेगी? यह सरकार को तीन महीने तक निष्क्रिय रखने की एक सोची-समझी चाल है। यह ‘एसआईआर’ की आड़ में लागू की गयी एक सुपर इमरजेंसी जैसा है।’’
वह उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित राज्य सचिवालय ‘उत्तरकन्या’ में प्रशासनिक बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी दे रही थीं।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘ जैसे कुछ मुद्राओं को चलन से बाहर करना ‘नोटबंदी’ थी, वैसे ही एसआईआर ‘वोटबंदी’ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार एसआईआर के नाम पर लोगों को परेशान कर रही है। ’’
बनर्जी ने एसआईआर प्रक्रिया में कथित तौर पर जल्दबाजी करने और लोगों को ‘‘मुश्किल’ में डालने के लिए निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘ चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की इतनी जल्दी मुझे समझ नहीं आ रही। यह बंगाल की जनता का अपमान है। मैं अपने पहले के रुख पर कायम हूं कि निर्वाचन आयोग को यह प्रक्रिया तुरंत रोकनी चाहिए। मतदाता सूची में संशोधन दो या तीन महीनों में पूरा नहीं हो सकता। इसे जबरदस्ती अंजाम दिया जा रहा है। मैंने सुना है कि आठ मतदाताओं वाले घरों में सिर्फ दो गणना प्रपत्र बांटे गए और बाकी छह गायब थे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘(अब) आपको खुद को साबित करना होगा। आपको पता होना चाहिए कि आप कौन हैं। इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है? वे (श्रीमान) दो सालों में ऐसा कर सकते थे। निर्वाचन आयोग को यह तय करने का क्या अधिकार है कि कौन नागरिक है और कौन नहीं?’’
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन के कार्यकाल के निर्वाचन आयोग का जिक्र करते हुए बनर्जी ने रेखांकित किया कि आयोग के लिए बंगाल में यह काम करना उतना आसान नहीं होगा जितना बिहार में था।
बनर्जी ने मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘मुझे याद है जब श्री शेषन चुनाव आयुक्त थे, उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग जनता के लिए है, सरकार के लिए नहीं। मुझे यह देखकर दुख होता है कि इसके वर्तमान प्रमुख केवल ‘जी सर’, ‘जी सर’ कहते रहते हैं। आप बिहार में ऐसा (श्रीमान) कर सकते थे क्योंकि आप इससे बच सकते थे, लेकिन बंगाल में नहीं, जहां हम आपसे हर कदम पर सवाल करेंगे। आप सिर्फ अपने बॉस को संतुष्ट करना चाहते हैं, जनता को नहीं। आप लोकतंत्र को ध्वस्त नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे साथ खेलना आसान नहीं है। हम खेलने से पहले पिच का आकलन करते हैं। हम उन्हें हर कदम पर पकड़ेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हर वास्तविक मतदाता वोट दे सके। निर्वाचन आयोग भाजपा के निर्देशों का पालन नहीं करेगा। अगर वे मुझे यह कहने के लिए दंडित करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। आप क्या करेंगे? मुझे जेल भेज दीजिए, मेरे पीछे एजेंसियां लगा दीजिए, मेरे मताधिकार छीन लीजिए, मेरी जान को भी खतरा पहुंचा दीजिए, लेकिन लोगों पर अत्याचार मत कीजिए।’’
मुख्यमंत्री ने घुसपैठ के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि जब सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ)के पास है तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी क्यों नहीं लेनी चाहिए।
बनर्जी ने सवाल किया, ‘‘अगर बीएसएफ सीमाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, तो आपको (अमित शाह) घुसपैठ के लिए जवाबदेह क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए? एक गृह मंत्री होने के नाते, आपको पहले इस्तीफा देना चाहिए। आप 10 साल से ज्यादा समय से कुर्सी पर हैं। आप झूठ बोलकर लोगों को गुमराह नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का समर्थन करना एक ‘भूल’ थी और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अमित मित्रा (पूर्व राज्य वित्त मंत्री) ने मुझे पहले समझाया था और मैंने मान लिया था, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ है कि वह एक गलती थी। आज, कई लेन-देन पर कर लगता है और केंद्र राज्यों से एकत्रित धन का इस्तेमाल फिजूलखर्ची के लिए कर रहा है, दूसरे राज्यों को धन हस्तांतरित कर रहा है। वे विदेश यात्रा करते हैं और सोने की माला पहनकर लौटते हैं। केंद्र सरकार की मुख्य भूमिका रक्षा और सीमाओं तक ही सीमित रहनी चाहिए। बाकी ज़्यादातर मामले राज्य के विशेषाधिकार हैं।’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार यह प्रचार कर रही है कि उसने बीमा को कर-मुक्त कर दिया है जो सरासर झूठ है। वे हमारा पैसा लेते हैं और फिर इसे उदारता बताते हैं। वे जीएसटी के रूप में बड़ी रकम वसूलते हैं और फिर लाभों का श्रेय लेते हैं। यह भ्रामक है। वह पैसा हमारे खजाने से आया है, यह उनकी उपलब्धि नहीं है।’’
भाषा धीरज