'अगर रेलवे ने सुधारों को लागू किया होता तो छत्तीसगढ़ रेल दुर्घटना टाली जा सकती थी'
प्रशांत सुरेश
- 10 Nov 2025, 08:51 PM
- Updated: 08:51 PM
(जीवन प्रकाश शर्मा)
नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) विशेषज्ञों के एक वर्ग का मानना है कि रेलवे ने अगर 2011 की उच्चाधिकार समिति द्वारा सुझाए गए रेल सुधारों को लागू किया होता, तो छत्तीसगढ़ में ट्रेन दुर्घटना को रोका जा सकता था।
राज्य के बिलासपुर जिले में चार नवंबर को एक स्थानीय एमईएमयू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) यात्री ट्रेन एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई, जिसमें लोको पायलट सहित 11 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
गेवरा रोड-बिलासपुर खंड पर जहां दुर्घटना हुई वहां एक स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली है, जिसे 2020 के बाद स्थापित किया गया था।
इस प्रणाली के अंतर्गत, दो सिग्नल पोस्टों के बीच की दूरी लगभग एक से 1.5 किमी होती है, जिससे दो रेलगाड़ियां एक ही ट्रैक पर चल सकती हैं, तथा उनमें कम से कम एक से दो सिग्नल पोस्ट की दूरी का अंतर बना रहता है।
यदि कोई रेलगाड़ी लाल सिग्नल पर रुकती है, तो उसके पीछे आने वाली रेलगाड़ी को भी पिछला सिग्नल लाल मिलेगा और उसे भी वहीं रुकना होगा।
रेलगाड़ियां क्योंकि एक-दूसरे के करीब चलती हैं और लोको पायलटों को कई सिग्नलों का निरीक्षण करना पड़ता है, इसलिए एचपीसी ने अपनी 2013 की रिपोर्ट में स्वचालित सिग्नलिंग शुरू करने से पहले कवच जैसी ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्ल्यूएस) की स्थापना की सिफारिश की थी।
‘ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन’ के महासचिव अशोक कुमार राउत ने कहा, “कार्यकुशलता बढ़ाने और कम समय में ज्यादा ट्रेनें चलाने के लिए, रेल मंत्रालय पूर्ण प्रणाली को स्वचालित प्रणाली से बदल रहा है। हालांकि, ‘कवच’ की स्थापना न केवल देरी से शुरू हुई, बल्कि धीमी गति से आगे बढ़ रही है।”
विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि पिछले कुछ वर्षों में रेल परिचालन में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण, लोको पायलटों को मानवीय भूल के जोखिम को न्यूनतम करने के लिए तकनीकी सहायता की आवश्यकता है।
भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग एवं दूरसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक शैलेन्द्र कुमार गोयल ने कहा, “यह दुर्घटना भारतीय रेलवे की अपने व्यस्ततम मार्गों पर भी ट्रेन सुरक्षा एवं चेतावनी प्रणाली लागू करने में निरंतर विफलता की गंभीर याद दिलाती है।”
उन्होंने कहा, ‘‘यह त्रासदी पूरे नेटवर्क में सुरक्षा स्वचालन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।”
गोयल ने सुझाव दिया कि रेलवे को कवच प्रणाली के लंबे समय से विलंबित कार्यान्वयन को युद्ध स्तर पर तेज करना चाहिए।
विशेषज्ञों ने कहा कि कवच सभी प्रकार की दुर्घटनाओं को रोक नहीं सकता, लेकिन यह ‘रेड सिग्नल ओवरशूट’ (लाल संकेत के बावजूद ट्रेन के आगे बढ़ जाने) की समस्या को प्रभावी ढंग से हल कर सकता है, जिससे लोको पायलटों पर निर्भरता पूरी तरह कम हो जाती है।
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