भारत और अंगोला के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के व्यापक अवसर: राष्ट्रपति मुर्मू
पारुल प्रशांत
- 11 Nov 2025, 01:07 AM
- Updated: 01:07 AM
(तस्वीरों के साथ)
(नीलाभ श्रीवास्तव)
लुआंडा, 10 नवंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को इस बात को रेखांकित किया कि वैश्विक संघर्षों और अनिश्चितताओं का खास तौर पर ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत और अंगोला के पास डिजिटल प्रौद्योगिकी, रक्षा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में “आर्थिक संबंधों को गहरा करने” के व्यापक अवसर हैं।
अंगोला की अपनी राजकीय यात्रा के तीसरे दिन देश की संसद के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि चूंकि दुनिया संघर्षों और अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही है, इसलिए ‘ग्लोबल साउथ’ के देश खास तौर पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है, जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित और अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
राष्ट्रपति ने अफ्रीका में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई और अंगोला के सांसदों से भारत-अंगोला साझेदारी की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए साझेदार के रूप में हाथ मिलाने का आग्रह किया।
मुर्मू ने कहा कि व्यापार और आर्थिक सहयोग दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का “महत्वपूर्ण स्तंभ” हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग हमारे आर्थिक संबंधों को “लगातार” मजबूत बना रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा, “डिजिटल प्रौद्योगिकी, रक्षा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए व्यापक अवसर उपलब्ध हैं। आगे बढ़ते हुए, हम अपने आर्थिक संबंधों को गहरा करने के लिए इन संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इससे पहले, अंगोला नेशनल असेंबली की अध्यक्ष कैरोलिना सेर्केरा ने मुर्मू का स्वागत करते हुए कहा कि अंगोला की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत की राष्ट्रपति की ऐतिहासिक यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक “नया मील का पत्थर” है।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “सेर्केरा ने कहा कि भारत की परिवर्तनकारी विकास यात्रा अंगोला के लिए प्रेरणा है। उन्होंने अफ्रीका के प्रति नयी दिल्ली के दीर्घकालिक समर्थन एवं प्रतिबद्धता की गहरी सराहना की।”
बयान के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष का इतिहास और लोकतांत्रिक मूल्य भारत और अंगोला के बीच साझा कड़ी है।
उन्होंने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अंगोला अफ्रीका के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक है।”
मुर्मू अटलांटिक महासागर के किनारे स्थित इस ऊर्जा-समृद्ध देश की यात्रा करने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और अंगोला के बीच संबंध दोनों देशों के लोगों के लिए “आपसी सम्मान, समानता और पारस्परिक लाभ के सिद्धांत” पर आधारित हैं।
मुर्मू ने कहा कि अंगोला अफ्रीका की विकास गाथा में एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभर रहा है और उन्होंने अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष के रूप में उसकी अंतरराष्ट्रीय नेतृत्वकारी भूमिका की तारीफ की।
उन्होंने अंगोला द्वारा अपने बुनियादी ढांचे और शासन को मजबूत करने तथा कृषि, ऊर्जा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने में की गई प्रगति की सराहना की।
मुर्मू ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि अंगोला की संसद में 39 फीसदी महिला सदस्य हैं, जो लैंगिक समानता और समावेशी शासन का एक सच्चा उदाहरण है।
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत ने भी संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण प्रदान करने वाला ऐतिहासिक कानून बनाया है।
मुर्मू ने कहा कि दोनों देशों को आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए संसदीय आदान-प्रदान को और बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
मुर्मू ने अंगोला की संसद के दौरे से पहले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. एंटोनियो अगोस्तिन्हो नेटो के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। नेटो ने अंगोला के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रपति ने लुआंडा में फोर्टालेजा डी साओ मिगुएल का भी दौरा किया, जो 16वीं शताब्दी का औपनिवेशिक युग का किला है, जिसमें अब सशस्त्र बलों का संग्रहालय है।
यह संग्रहालय अंगोला के लंबे और जटिल सैन्य इतिहास की कहानी बयां करता है, जिसमें उसका औपनिवेशिक काल और स्वतंत्रता संग्राम भी शामिल है।
राष्ट्रपति अंगोला की चार दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं, जिसके बाद 11-13 नवंबर के बीच वह बोत्सवाना का दौरा करेंगी।
भाषा पारुल