लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने पूर्वोत्तर की विधानसभाओं से परिवर्तन का शक्तिशाली साधन बनने का आग्रह किया
संतोष अविनाश
- 10 Nov 2025, 05:53 PM
- Updated: 05:53 PM
कोहिमा, 10 नवंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यहां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र जोन-तीन के 22वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया और विधायी निकायों से परिवर्तन के सशक्त माध्यम के रूप में कार्य करने का आग्रह किया।
पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, पीठासीन अधिकारियों और विधायकों को संबोधित करते हुए बिरला ने समावेशी नीतियों को आकार देने और सुशासन सुनिश्चित करने में विधानमंडलों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विधानसभाओं को क्षेत्रीय विकास और औद्योगिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों की दिशा में काम करना चाहिए।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नीतिगत निर्णयों से स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाया जाना चाहिए और स्वदेशी कला, संस्कृति और पारंपरिक शिल्प को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलनी चाहिए।
बिरला ने पूर्वोत्तर राज्यों की उनके गहरे लोकतांत्रिक मूल्यों, निर्णय लेने में एकता और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए सराहना की।
बिरला ने कहा कि क्षेत्र की अधिकांश विधानसभाओं ने कागज रहित संचालन को अपना लिया है। उन्होंने क्षेत्र के जीवंत लोकतंत्र, बेहतर कनेक्टिविटी और बढ़ते बुनियादी ढांचे की भी प्रशंसा की और इन्हें प्रगति के नए रास्तों की नींव बताया।
बिरला ने कहा, ‘‘सामूहिक संवाद और जनभागीदारी के माध्यम से हमारी विधायिकाएं समावेशी और सतत विकास की ओर ले जाने वाली नीतियां बना सकती हैं।’’
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि दो दिवसीय सम्मेलन विधायी संस्थाओं को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने के लिए एक ठोस प्रारूरप तैयार करेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ने आगामी ‘हॉर्नबिल’ महोत्सव से पहले नगालैंड के लोगों को शुभकामनाएं दीं और इसे राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि और एकता का प्रतीक बताया।
लोकसभा अध्यक्ष ने नगालैंड विधानसभा परिसर में स्थापित एक स्तंभ का भी अनावरण किया, जो नगालैंड द्वारा तीसरी बार आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन की स्मृति में है। इससे पहले यहां पहली बार 1997 में और दूसरी बार 2007 में इसका आयोजन किया गया था।
‘नीति, प्रगति और जनता: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधायिकाएं’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य क्षेत्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करना और उत्तरदायी शासन को बढ़ावा देना है।
पूर्ण सत्र दो उप-विषयों पर केंद्रित होगा जिनमें ‘विकसित भारत बनाने में विधानमंडलों की भूमिका’ और ‘जलवायु परिवर्तन - पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में हाल ही में बादल फटने और भूस्खलन के आलोक में’ शामिल हैं।
सम्मेलन के एक भाग के रूप में, पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए एक वृक्षारोपण अभियान का आयोजन किया गया है।
वर्षों से ‘सीपीए इंडिया क्षेत्र जोन तीन’ ने क्षेत्रीय सहयोग और सर्वोत्तम विधायी प्रथाओं को बढ़ावा देने और बुनियादी ढांचे के विकास तथा ‘एक्ट ईस्ट’ नीति जैसे प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उल्लेखनीय उपलब्धियों में व्यापार और सहयोग के लिए भारत-आसियान दृष्टिकोण में पूर्वोत्तर का एकीकरण, त्वरित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की वकालत और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना शामिल है।
समारोह का समापन मंगलवार शाम को होगा।
भाषा संतोष