जम्मू-कश्मीर में पथराव कोई सामान्य घटना नहीं: उच्चतम न्यायालय ने शब्बीर शाह से कहा
आशीष सुरेश
- 10 Nov 2025, 05:12 PM
- Updated: 05:12 PM
नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में पथराव कोई सामान्य घटना नहीं है। इसके साथ ही, अदालत ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह से अपनी हिरासत का आदेश प्राप्त करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस-नीत सरकार से संपर्क करने को कहा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप नाथ की पीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को शब्बीर शाह के नए हलफनामे पर जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नये तथ्यों की ओर इशारा किया और पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्क के साथ उसके संबंधों पर जोर दिया।
शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि उसके परिवार को हिरासत आदेश नहीं दिया गया था और वह 1970 से पारित विभिन्न हिरासत आदेशों के दस्तावेज की मांग कर रहा है। मेहता ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि यह मुद्दा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष नहीं उठाया गया था।
पीठ ने कहा, "आप सरकार से ब्योरा मांगिए। ज़मानत की कार्यवाही में क्यों पूछते हैं? पचास साल से ज़्यादा हो गए हैं।"
गोंजाल्विस ने दलील दी कि शाह 39 साल से एक ही आरोप में जेल में है, यानी भाषण देने और उसके बाद पथराव करने के आरोप में। इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, ‘‘इस प्रदेश में पथराव कोई सामान्य घटना नहीं है।’’
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, अदालत ने एनआईए को नोटिस जारी कर शाह की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। शाह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 जून के आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसे मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में शाह को यह कहते हुए जमानत देने से मना कर दिया था कि उसके द्वारा इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधियां करने और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
शाह को एनआईए ने चार जून, 2019 को गिरफ्तार किया था।
वर्ष 2017 में, एनआईए ने पथराव, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के लिए धन जुटाने और इकट्ठा करने की साजिश के आरोप में 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
शाह पर आरोप है कि उसने आम जनता को जम्मू-कश्मीर के अलगाव के समर्थन में नारे लगाने के लिए उकसाया, हवाला लेनदेन के माध्यम से धन प्राप्त करके और नियंत्रण रेखा व्यापार के माध्यम से धन जुटाकर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी या उग्रवादी आंदोलन को बढ़ावा देने में "महत्वपूर्ण भूमिका" निभाई थी।
भाषा आशीष